Dairy udyog mein rojgar ke avsar आज कल पंजाब का ये नौजवान नौकरी छोड़ अपना चुका है पशुपालन व्यवसाय

आज के दौर में पशुपालन व्यवसाय अगर लगन व समझदारी के साथ किया जाए तो खेती से भी अधिक आमदनी दे सकता है। जी हां, पंजाब के पटियाला जिला के गांव बुधमोर निवासी 37 वर्षीय युवा किसान रमनदीप सिंह का तुजुर्बा तो कुछ ऐसी ही कहानी ब्यान करता है।

 

रमनदीप सिंह के पास 6 दुधारू भैंसें हैं जिनसे वह 8 एकड़ जमीन जितनी सालाना आमदनी लेने का दावा करते हैं। आरएमएल एगटेक के साथ विशेष बातचीत में उन्होने बताया कि उन्हें दूध बेचने मात्र से ही औसतन 30-35 हजार रुपए मासिक की आमदनी हो जाती है।

 

मकैनिक से बने पशुपालक

रमनदीप सिंह अपने गांव से कुछ दूर स्थित इलैक्ट्रिक जेनरेटर बनाने वाली एक फैक्ट्री में तकनीशियन की नौकरी करते थे। 3 साल पहले उन्होने पशुपालन की ओर कदम बढ़ाते हुए नौकरी छोड़ दी और लुधियाना में डायरी ट्रेनिंग सैंटर से 15 दिन का पशुपालन प्रशिक्षण लिया। इसके बाद उन्होने अपने घर के कम दुग्ध उत्पादन वाले पशुओं को बदलने का निर्णय ले लिया।

 

हरियाणा से लाए उत्तम नस्ल की भैंस

 

ट्रेनिंग के दौरान उन्हें पता चला था कि हरियाणा की मुर्राह नस्ल की भैंसें अधिक दूध देती हैं। वह हरियाणा के जींद में गए और वहां से 1 लाख रुपए में मुर्राह नस्ल की भैंस खरीद कर लाए। वहीं से उन्होने पशुओं के लिए फीड बनाने की जानकारी भी ली।

 

इसके बाद वह हरियाणा के ही नारनौल से 2.5 लाख रुपए की एक और मुर्राह नस्ल की भैंस खरीद कर लाए। आज उनके पास 6 दुधारू भैंसे हैं। रमनदीप बताते हैं कि असली मुर्राह नर के बीज से पैदा हुई भैंस की मादा बच्ची 3 साल में डेढ़ लाख रुपए की भैंस बन जाती है।

 

एक दिन में 22 लीटर तक दूध देती है एक भैंस

 

ढाई लाख रुपए वाली उनकी भैंस एक दिन में 22 लीटर तक दूध दे देती है। इसके अलावा समान्यत: उनकी भैंसें प्रतिदिन 14-15 लीटर तक दूध देती हैं। रमनदीप के अनुसार उनकी भैंसों का दूध 60 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से बिकता है। वह अपने पशुओं के लिए पशु फीड खुद बनवाते हैं।

 

जीत चुके हैं दूध व नस्ल के मुकाबल

 

रमनदीप के पशु जिला स्तर पर होने वाले दूध उत्पादन व पशुओं की नस्ल के मुकाबलों में भी हिस्सा लेते हैं। अभी तक कई मुक़ाबले वह जीत चुके हैं। वह अपने नजदीकी पशुपालन अधिकारियों व पशु चिकित्सकों के संपर्क में रहते हैं। वहीं से उन्हें मेलों के बारे में जानकारी मिलती है।

 

यही नहीं वह एक जागरूक प्रगतिशील किसान हैं और डिजिटल कृषि सेवाओं का भी इस्तेमाल करते हैं। तकरीबन एक साल से वह आरएमएल फार्मर एप्प का इस्तेमाल कर रहे हैं और अपनी खेती व पशुपालन में इससे मिलने वाली जानकारी से लाभान्वित हो रहे हैं।

 

रमनदीप का कहना है कि पशुपालन से उचित लाभ लेने के लिए पशुओं की अच्छी नस्लों का रखना जरूरी है। इसके साथ ही अच्छी नस्ल के नर के सीमन (वीर्य) से मादा का निषेचित करवाना जरूरी है, ताकि अच्छी नस्ल के पशु प्राप्त किए जा सकें। यही नहीं दुधारू पशुओं के लिए उनके भोजन व चारे पर भी ध्यान देना जरूरी है। इसके लिए पशुपालकों को अपने नजदीकी पशु चिकित्सकों के संपर्क में रहना जरूरी है।

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