श्रीलंका का आर्थिक संकट का कारण श्रीलंका राजपक्षे परिवार | श्रीलंका को संकट में धकेलने वाले राजपक्षे परिवार की कहानी

श्रीलंका में इस संकट के सबसे बड़े खलनायक राजपक्षे भाई हैं। राजपक्षे परिवार के सबसे ताकतवर नेता महिंदा राजपक्षे देश के प्रधानमंत्री थे। उनके छोटे भाई गोतबाया राष्ट्रपति हैं। श्रीलंका में इनके परिवार के आठ सदस्य श्रीलंका सरकार का हिस्सा थे।

श्रीलंका का आर्थिक संकट क्या है – दुनिया के सबसे बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका के राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे ने आखिरकार इस्तीफा दे दिया। उनके इस्तीफे के बाद रानिल विक्रमसिंघे कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाए गए हैं। श्रीलंका के संसद अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्धने ने बताया- गोतबाया राजपक्षे का इस्तीफा मंजूर कर लिया गया है। कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है। उन्होंने बताया, नया राष्ट्रपति चुने जाने तक प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में काम करेंगे। श्रीलंका में चल रहे विरोध प्रदर्शन थमते दिखाई दे रहे हैं। राजपक्षे सरकार के खिलाफ बीते कई दिनों से प्रदर्शन चल रहे थे। श्रीलंका में इस संकट का सबसे बड़ा खलनायक राजपक्षे भाइयों को बताया जा रहा था। राजपक्षे परिवार के सबसे ताकतवर नेता महिंदा राजपक्षे कुछ दिन पहले तक देश के प्रधानमंत्री थे। उनके छोटे भाई गोतबाया राष्ट्रपति हैं।

श्रीलंका की राजनीति में ये परिवार बीते नौ दशक से अपना दखल रखता है। दखल ऐसा कि अब तक परिवार के करीब डेढ़ दर्जन सदस्य सांसद से लेकर मंत्री तक रह चुके हैं। गुलामी के दौर में विदान अराचचि (गांव के मुखिया जैसा पद) से शुरू हुई राजपक्षे परिवार की राजनीति कैसे श्रीलंका पर राज करने लगी

अंग्रेजों के जमाने से चला आ रहा राज

सबसे पहले बात अंग्रेजों के दौर की। औपनिवेशिक युग के दौरान सीलोन (श्रीलंका) में मुखिया प्रणाली चलती थी। इसमें विदान अराची होता था। जो इलाके में शांति बनाए रखने, राजस्व संग्रह करने और न्यायिक कार्यों में सहायता करने के लिए जिम्मेदार होता था। सिलोन में ऐसे ही एक विदान अराची थे डॉन डेविड राजपक्षे। डेविड के चार बेटों में से दो बेटे चुनावी राजनीति में सक्रिय हुए। सबसे पहले डॉन मैथ्यू चुनावी राजनीति में उतरे। मैथ्यू 1936 से 1945 तक हम्बनटोटा में राज्य विधान परिषद के सदस्य रहे। मैथ्यू के निधन के बाद उनके छोटे भाई डॉन अल्विन राजनीति में आए। देश जब आजाद हुआ तो अल्विन पहली संसद में पहुंचने वाले नेताओं में शामिल थे। आज श्रीलंका को चला रहे राजपक्षे भाई इन्हीं अल्विन के बेटे हैं। 

संसद के डिप्टी स्पीकर थे महिंदा के पिता 

सीलोन के पांचवें प्रधानमंत्री विजयानंद दहनायके सरकार में कृषि मंत्री भी रहे थे अल्विन राजपक्षे श्रीलंका फ्रीडम पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से थे। अल्विन संसद के डिप्टी स्पीकर भी रहे।

राजपक्षे परिवार का सबसे ताकतवर चेहरा महिंदा

1970 में पहली बार सांसद बने महिंदा लंबे समय तक अलग-अलग सरकारों में मंत्री भी रहे। 2004 में देश के प्रधानमंत्री बनने एक साल बाद राष्ट्रपति। 2015 के चुनाव में हार के बाद कहा जाने लगा कि महिंदा का समय खत्म हो गया। लेकिन, एक साल बाद ही महिंदा ने अपनी अलग पार्टी बना ली। मौजूदा दौर में राजपक्षे परिवार का सबसे ताकतवर चेहरा पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे हैं। महिंदा छह भाइयों में दूसरे नंबर पर हैं। महिंदा 2005 से 2015 तक श्रीलंका के राष्ट्रपति रहे हैं। उस वक्त उनके पास रक्षा, वित्त और कानून जैसे मंत्रालय भी थे। 2009 में लिट्टे को खत्म करने के बाद उनकी लोकप्रियता आसमान छूने लगी थी। 2019 में महिंदा के छोटे भाई गोतबाया राष्ट्रपति बन गए। महज तीन साल पुरानी महिंदा की पार्टी फिर से सत्ता में आ गई। छोटे भाई गोतबाया ने बड़े भाई महिंदा को अपना प्रधानमंत्री बना दिया।  

देश के कुल बजट का 75 फीसदी हिस्सेदारी वाले मंत्रालय परिवार के पास

आर्थिक संकट के दौर में जनता के बढ़ते विरोध प्रदर्शन और आक्रोश के कारण राष्ट्रपति गोतबाया और प्रधानमंत्री महिंदा को छोड़कर बाकी कैबिनेट ने तीन मार्च को इस्तीफा दे दिया। कैबिनेट मंत्रियों के इस्तीफे से पहले हालात ऐसे थे कि देश के कुल बजट के 75 फीसदी हिस्सेदारी वाले मंत्रालय राजपक्षे परिवार के सदस्य मंत्रियों के पास थे। देश के रक्षा, गृह, वित्त से लेकर खेल मंत्रालय तक परिवार के लोगों के पास था। महिंदा के बडे़ भाई चामल राजपक्षे तीन अप्रैल तक श्रीलंका के केंद्रीय सिंचाई मंत्री के साथ ही रक्षा और गृह राज्य मंत्री थे। छोटे भाई गोतबाया राजपक्षे राष्ट्रपति के साथ ही रक्षा मंत्री भी थे। चौथे भाई बासिल भी तीन अप्रैल तक श्रीलंका के वित्त मंत्री थे। 

महिंदा के बेटे-भतीजे और भांजे भी मंत्री थे

ऐसा नहीं है कि सिर्फ चार भाई की श्रीलंका सरकार का हिस्सा रहे हों। सांसद निपुण राणावका महिंदा राजपक्षे के भांजे हैं। निपुण भी तीन अप्रैल के पहले राज्यमंत्री थे। महिंदा के बेटे नमल खेल मंत्री थे। महिंदा के दूसरे बेटे योशिथा राजपक्षे प्रधानमंत्री के चीफ ऑफ स्टाफ हैं। महिंदा के भतीजे शशिन्द्रा राजपक्षे श्रीलंका सरकार में कृषि राज्य मंत्री थे। शशिन्द्रा के पिता चामल राजपक्षे भी सरकार का हिस्सा थे। शशिन्द्रा 2009 ने 2015 तक उवा प्रोविंस के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं।   2016 में नमल और योशिथा मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार भी हुए थे।

पेंडोरा पेपर में आया था महिंदा की भतीजी का नाम

महिंदा जब पहली बार राष्ट्रपति बने थे तब भी परिवार के कई सदस्य उनकी सरकार का हिस्सा थे। अक्टूबर 2021 में सामने आए पेंडोरा पेपर्स में निरुपमा और उनके पति का नाम सामने आया था। उनकी भतीजी निरुपमा महिंदा सरकार में डिप्टी मिनिस्टर रही थीं। निरुपमा के पिता जॉर्ज राजपक्षे महिंदा के चचेरे भाई थे। जॉर्ज भी 1960 से 1976 के दौरान सांसद और श्रीलंका के स्वास्थ्य मंत्री रहे थे। जॉर्ज के भाई लक्ष्मण भी सांसद रहे थे। जॉर्ज और लक्ष्मण डॉन मैथ्यू के बेटे थे।

गोतबाया के इस्तीफे साथ राजपक्षे युग का एक अध्याय समाप्त हुआ
सिंगापुर आमतौर पर शरण के अनुरोध को मंजूरी नहीं देता है। श्रीलंका के राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे बृहस्पतिवार को सिंगापुर पहुंच गए। इससे पहले वह अपने देश से फरार होकर मालदीव पहुंचे थे। इस मसले पर सिंगापुर सरकार ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि राजपक्षे यहां निजी यात्रा पर हैं, उन्हें कोई शरण नहीं दी गई है। राजपक्षे ने सिंगापुर से ही अपना इस्तीफा मेल पर भेजा। इसके साथ ही श्रीलंका में राजपक्षे भाइयों के युग का एक अध्याय समाप्त हो गया। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *