aarti kaise ki jaati hai – Anju Jadon News & Blogs https://anjujadon.com News & knowledge in Hindi Tue, 10 May 2022 04:51:28 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.5.5 https://anjujadon.com/wp-content/uploads/2023/03/cropped-anjujadon_new-32x32.jpg aarti kaise ki jaati hai – Anju Jadon News & Blogs https://anjujadon.com 32 32 हवन में घी की आहूति क्यों डाली जाती है? Aarti kaise ki jaati hai? और आरती क्यों और कैसे करें? https://anjujadon.com/aarti-kaise-ki-jaati-hai/ https://anjujadon.com/aarti-kaise-ki-jaati-hai/#respond Sun, 02 May 2021 19:40:02 +0000 https://anjujadon.com/?p=134 हवन में घी की आहूति क्यों डाली जाती है?हवन से मन को शांति मिलती है साथ ही चारों ओर का वातावण सकारात्मकता ऊर्जा व सुगंध से भर जाता है। हवन में अग्रि जलाकर उसमें घी की आहूति देने की परंपरा हमारे यहां वैदिक काल से ही चली आ रही है। कहते हैं अग्रि में डाला […]

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हवन में घी की आहूति क्यों डाली जाती है?
हवन से मन को शांति मिलती है साथ ही चारों ओर का वातावण सकारात्मकता ऊर्जा व सुगंध से भर जाता है। हवन में अग्रि जलाकर उसमें घी की आहूति देने की परंपरा हमारे यहां वैदिक काल से ही चली आ रही है। कहते हैं अग्रि में डाला हुआ पदार्थ कभी नष्ट नहीं होता है। उदाहरण के लिए स्थुल मिर्च को यदि हवन में आहूति के रूप में डालेंगे तो। दूर-दूर तक बैठे लोग इससे परेशान हो जाएंगे। मतलब अग्रि का काम स्थूल वस्तु को तोड़कर सूक्ष्म कर देना है।

यज्ञ करते समय अग्रि में घी डाला जाता है। माना जाता है कि वह घी कभी नष्ट नहीं होता है। स्थुल घी परमाणुओं में बदल जाता है। घी की आहूति देने से एक कटोरी घी परमाणुओं में बदलकर पूरे वातावरण में फैल जाता है।

मनु ने ठीक कहा है आग में डालने से हवि सुक्ष्म होकर सूर्य तक फैल जाती है। हवन में घी के साथ अनेक जड़ी-बूटियां भी डाली जाती है। वैज्ञानिक मान्यता है घी की जड़ी-बूटियों के साथ आहूति देने पर सुक्ष्म परमाणुओं में विभक्त होने पर इनका औषधीय गुण बढ़ जाता है। आयुर्वेद व होम्योपेथी में भी इस सिध्दांत को माना गया है। इसीलिए हवन में घी की आहूति दी जाती है।

आरती क्यों और कैसे करें? Aarti karne ka sahi samay?
हिन्दू धर्म में हर तरह की पूजा में आरती जरूर की जाती है। आरती के समय भी अनेक नियमों का पालन किया जाता है। दरअसल पूजा के बाद आरती का मुख्य कारण भगवान को मनाना होता है। माना जाता है कि एक साथ समूह में एकत्रित होकर राग में आरती गाने से भगवान प्रसन्न होते हैं। आरती की शुरूआत शंखवादन से करना चाहिए।

आरती का आरंभ करते समय गर्दन उठाकर, ऊध्र्व दिशाकी ओर मन एकाग्र कर शंख बजाएं शंख बजाते समय ऐसा भाव रखना चाहिए कि आरती से घर में सकारात्मक ऊर्जा जाग रही है। शंख को धीमे स्वर में बजाना शुरू करना चाहिए फिर स्वर जाना चाहिए। शंखनाद हो जानेपर आरती गायन आरंभ करना चाहिए।

आरती करते समय हमेशा अर्थ व शब्दो के उच्चारण का ध्यान रखना चाहिए। आरती के समय थाली हमेशा क्लाक वाइज पूरी तरह गोलाकार घुमाना चाहिए। आरती इस तरह पूरे विधान से करने से घर में सकारात्मक तरंगे गतिमान होती है। इन तरंगों से आरती करने वालों की चारों तरफ कवच निर्माण होता है। आरती करने वाला जितनी श्रद्धा से आरती करता है उतना ही यह कवच अधिक समयतक बना रहेगा। इस तरह आरती करने से मन से नकारात्मक विचार पूरी तरह दूर हो जाते हैं।

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