<p>The post Biodegradable Bags Machine Hindi, Biodegradable Bags Making Business first appeared on Anju Jadon News & Blogs.</p>
]]>Biodegradable Bags Machine Hindi, Biodegradable Bags Making Business – दुनिया भर में प्लास्टिक का उपयोग बड़े पैमाने पर होता है ऐसे में यह पर्यावरण के लिए चिंता का कारण बना जा रहा है। प्लास्टिक का सबसे ज्यादा इस्तेमाल पैकेजिंग इंडस्ट्री में होता है। एक आंकड़े के मुताबिक, भारत में हर दिन 26000 टन से अधिक प्लास्टिक का उपयोग किया जाता है। लेकिन मार्केट में इन दिनों बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक की अधिक डिमांड है। इस प्लास्टिक का उपयोग प्रोडक्ट की पैकेजिंग के लिए किया जाता है। यदि आप बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक का बिजनेस शुरू करते हैं तो बहुत ही कम समय में अच्छी खासी इनकम कर सकते हैं। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बताने जा रहे हैं कि, बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक का बिजनेस कैसे शुरू किया जा सकता है और आप हर महीने इस बिजनेस में कितनी इनकम कर पाएंगे?
बता दें, बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक एक ऐसा प्लास्टिक है जिसे मक्का, गेहूं और बाजरा आदि जैविक चीजों से मिलाकर बनाया जाता है। इसका उपयोग इन दिनों मार्केट में अधिक किया जा रहा है, ऐसे में इसकी मांग भी बहुत है। इस प्लास्टिक से बने हुए प्रोडक्ट या बैग से पर्यावरण को किसी भी तरह का नुकसान नहीं होता। ज्यादातर लोग प्रोडक्ट की पैकिंग के लिए बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक की मांग कर रहे हैं। ऐसे में आप चाहे तो इस बिजनेस को शुरू कर सकते हैं और कम समय में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
वर्तमान में प्लास्टिक का उपयोग अधिक हो रहा है, ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि साल 2025 तक कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करीब 15% बढ़ जाएगा। ऐसे में इससे निपटने के लिए बायो प्लास्टिक का इस्तेमाल करना बहुत ही जरूरी है। यही वजह है कि, मार्केट में बायो प्रोडक्ट की मांग अधिक है। बायोप्लास्टिक पौधों पर आधारित प्लास्टिक है जो आसानी से नष्ट हो जाता है। इस प्लास्टिक का उपयोग पैकेजिंग इंडस्ट्री में अधिक किया जा रहा है क्योंकि इससे बने प्रोडक्ट पर्यावरण को किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। देश में अभी बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक बिजनेस की काफी कमी है इसलिए आप चाहे तो इसमें आसानी से सफलता प्राप्त कर सकते हैं। इसकी ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटाने के लिए अमेरिका व यूरोप के बायोप्लास्टिक संबंधित इंस्टीट्यूट से आप ऑनलाइन जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक का बिजनेस शुरू करने के लिए आपको सबसे पहले सही जगह का चुनाव करना होगा। दरअसल यह एक ऐसा बिजनेस होगा जिसमें आपको बड़ी मशीनों की आवश्यकता होगी। ऐसे में आपको इस बिजनेस के लिए करीब 1000 स्क्वायर फीट की जगह की जरूरत होगी। बता दें, इस बिजनेस की शुरुआत आपको शहर से थोड़ी दूर करनी होगी, क्योंकि मशीनों की आवाज से आपके आसपास के लोगों को परेशानी हो सकती है। इसलिए पहले से ही आप इस बात का ध्यान रखें और सही जगह पर बिजनेस शुरू करें।
जैसे हर छोटे-बड़े बिजनेस को लंबे समय तक चलाने के लिए लाइसेंस लेना होता है, ठीक उसी प्रकार बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक के बिजनेस को शुरू करने के लिए आपको जीएसटी लाइसेंस लेना होगा। इसके अलावा आपको सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से भी इस बिजनेस को चलाने के लिए अनुमति लेनी होगी। बता दें, इन सभी कार्यों को पूरा करवाने के बाद ही आप इस बिजनेस की शुरुआत कर पाएंगे, अन्यथा आपको भविष्य में परेशानी आ सकती है।
इस बिजनेस को शुरू करने के लिए मशीनी उपकरणों की आवश्यकता होती है। इसके अलावा PLA और PCL film roll की भी जरूरत होगी।
इस बिजनेस को शुरू करने के लिए आपको करीब 20 से 22 लाख रुपयों की जरूरत होगी। यदि आप सेमी ऑटोमेटिक मशीन को खरीदते हैं तो आप इस बिजनेस को 10 लाख रुपए से शुरू कर सकते हैं। यदि आप ऑटोमेटिक मशीन की खरीदारी करेंगे तो आपको इसे शुरू करने के लिए करीब 22 लाख रुपए तक की जरूरत होगी। इसके अलावा इस व्यवसाय के लिए आपको करीब 10 किलोवाट इलेक्ट्रिसिटी की भी आवश्यकता होगी। आप अपने बजट के अनुसार बिजनेस को शुरू कर सकते हैं। आपका निवेश इस बात पर भी निर्भर करता है कि आप कितने प्रोडक्ट के साथ इस बिजनेस की शुरुआत कर रहे हैं।
यदि आप इस बिजनेस को छोटे स्तर पर शुरू कर रहे हैं तो आप इसे 6 से 7 लोगों के साथ शुरू कर सकते हैं। जबकि बड़े पैमाने पर बिजनेस शुरू करने के लिए आपको करीब 10-20 लोगों की आवश्यकता होगी जिसमें सेल्समैन, अकाउंटेंट और अन्य कर्मचारी शामिल होंगे। बता दें, शुरुआती दिनों में आपको कम लोगों की ही जरुरत होगी, जैसे-जैसे आपका बिजनेस बढ़ता जाएगा वैसे ही आपका काम भी बढ़ेगा। ऐसे में आपको अधिक कर्मचारियों की आवश्यकता हो सकती है।
इस बिजनेस की मार्केटिंग करना बहुत ही आसान है, क्योंकि अभी तक मार्केट में इसने अपनी कोई खास जगह नहीं बनाई है। ऐसे में आप रेस्टोरेंट या होटल जैसे बड़ी दुकानों (जहां पैकिंग का काम ज्यादा किया जाता हो) पर संपर्क करें और उन्हें बताए कि, बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक सिंगल यूज प्लास्टिक से ज्यादा फायदेमंद है। इसके अलावा आप समय-समय पर पर्यावरण सुरक्षा को लेकर कोई कार्यक्रम या सेमिनार आयोजित करें ताकि आपके द्वारा बनाए गए प्रोडक्ट आसानी से बिक सके। बिजनेस की मार्केटिंग के लिए आप सोशल मीडिया की भी मदद ले सकते हैं। इसके जरिए आप बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक का अच्छे से प्रचार प्रसार कर पाएंगे, साथ ही आप आसानी से ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ पाएंगे। सोशल मीडिया पर मार्केटिंग करने के लिए आप इंस्टाग्राम, ट्विटर और फेसबुक जैसी साइट का उपयोग कर सकते हैं। इन साइट पर अपने बिजनेस से रिलेटेड पेज क्रिएट कर सकते हैं और इन पेज को आप समय-समय पर अपडेट करते रहे ताकि आप से जुड़े लोग आपके प्रोडक्ट की जानकारी लेते रहे। इसकी मार्केटिंग के लिए आप शहर में होर्डिंग भी लगवा सकते हैं, साथ ही पंपलेट छपवाकर जगह-जगह बंटवा सकते हैं। इसके अलावा आप टीवी, रेडियो या न्यूज़ पेपर की मदद से भी बिजनेस की मार्केटिंग करवा सकते हैं। टीवी, रेडियो या न्यूज़ पेपर के जरिए भी आपके बिजनेस का अच्छे से विज्ञापन हो जाएगा।
बायोप्लास्टिक को बेचने के लिए आप एफएमसीजी सेक्टर (तेजी से बिकने वाली वस्तुएं) में काम करने वाली कंपनियों से संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा विभिन्न रेस्टोरेंट्स, शहर की हर छोटी-बड़ी दुकानों से भी संपर्क कर सकते हैं। इन दुकान के मालिकों से संपर्क कर उन्हें बायोप्लास्टिक के लाभ के बारे में बताए। हालांकि इसकी कीमत को लेकर आपको थोड़ी परेशानी आ सकती है, लेकिन आप सामने वालों को बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक के लिए जागरूक कर सकते हैं तो आप इसे सही दाम में बेच सकते हैं। यदि आप ऐसा करते हैं तो आप अपने बिजनेस को कम समय में अच्छा बना सकते हैं।
बायोप्लास्टिक एक ऐसी वस्तु होती है जो पर्यावरण की प्राकृतिक सामग्रियों में बिना हानि पैदा किए ही टूट सकती है। इसका पदार्थ बायोडिग्रेड होता है जो नष्ट होने पर धरती में ही मिल जाता है जिससे पृथ्वी के ऊपर कोई भी विषाक्त पदार्थ पैदा नहीं होता। आपने देखा होगा कि, गैर बायोडिग्रेडेबल चीजें अधिक हानिकारक होती है जो आसानी से नहीं टूटती और वातावरण को भी दूषित करती है, जबकि बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक से बनी हुई सामग्री जल्दी ही नष्ट हो जाती और यह मिट्टी को भी कोई हानि नहीं पहुँचाती है। इसके अलावा बायोडिग्रेडेबल सामग्री की मार्केट में अधिक मांग है जबकि गैर बायोडिग्रेडेबल सामग्रियों की दर बहुत कम है।
यदि हम इस बिजनेस में कमाई की बात करें तो आप हर साल 30 से 40 लाख रुपए की कमाई आराम से कर सकते हैं, जबकि महीने में आप इस बिजनेस में 50 से 60 हजार रुपए तक का मुनाफा कमा सकते हैं। बता दें, आप सेमी ऑटोमेटिक मशीन का उपयोग करते हैं तो इस आकंड़े के मुताबिक आपको थोड़ी कम कमाई होगी, क्योंकि इस मशीन से माल तैयार करने के लिए अधिक समय लगता है जबकि ऑटोमेटिक मशीन से आप कम समय में अधिक माल तैयार कर सकते हैं। ऐसे में आप जितने ज्यादा माल की बिक्री करेंगे आपको उतना ही मुनाफा होगा। कोशिश करें आपकी तरफ से ग्राहक को समय पर माल मिल सके। यदि छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखेंगे तो आप जल्दी इस बिजनेस में सफल व्यक्ति बन सकते हैं।
यह भी पढ़े :
<p>The post Biodegradable Bags Machine Hindi, Biodegradable Bags Making Business first appeared on Anju Jadon News & Blogs.</p>
]]><p>The post Starting a Sanitary Napkin Manufacturing Business first appeared on Anju Jadon News & Blogs.</p>
]]>Did you know?
In 2020, the Indian sanitary napkin business was around US $525.1 million (₹40017.34 million).
Here are the different aspects you must keep in mind when starting your business.
There are different state government laws associated with registering a sanitary pad business and these requirements will vary from state to state. The list of licences needed are:
Aslo Read – How to Start All Type Paper Cup Manufacturing Business
You can start your company as a small or medium-scale business and register it as a proprietorship firm. Any partnership programs will fall under Limited Liability Partnership (LLP) or a Private Limited Company linked to the Registrar of Companies (ROC).
BIS is the body that sets quality benchmarks and standards for companies engaging in the sanitary pad manufacturing process. The BIS Certification is mandatory and you want to apply for the ISI specification as well, which is IS 5405:1980
3.Trade Licence and GST
A trade licence is required from the Municipal Authority and you need a valid import and export licence if you’re planning to sell to international clients. You don’t need GST registration but if your annual turnover is more than ₹10 lakhs, you will also have to apply. The IEC, referred to as the Import Export Code, is what you want.
Aslo Read – Hing Making Business in Hindi हींग बनाने का बिजनेस कैसे शुरू करें
4.Trademark Registration
Trademark Registration is important so that your competitors don’t steal from you, and it secures your brand and establishes a firm reputation in the industry.
Setting up a sanitary napkin manufacturing plant will give you a good source of income and once your brand starts growing, you won’t be having any trouble attracting clients. Focus on your marketing strategy since you want clients to return and repurchase items. Below are some guidelines on how to go about setting up your sanitary napkin business, including formulating a business strategy for maximum profits.
After the COVID-19 pandemic, most businesses have transitioned to online sales models. You must focus on your digital marketing strategy. Make sure to work with a website designer to build a website for your brand and SEO-optimise it. You can sell your sanitary pad business via social media platforms.
Be sure to engage with your audience and ask for feedback when they try out your products. You can accumulate more sales this way and it’s much more effective than simply relying on marketing through traditional means. Another strategy is to get women influencers to try out product samples and ask them to give your brand shoutouts on their social media pages.
Aslo Read – 25 Great Small Business Ideas for New Entrepreneurs
When you’re selecting the location to set up and install your sanitary pad manufacturing process, here is what you want to keep in mind:
Raw materials are critical since they influence the whole manufacturing process and therefore, you must choose the right materials to manufacture sanitary napkins. Getting in touch with the right suppliers will help you collect high-quality supplies at wholesale rates or cheaper. If you’re buying in bulk, you can negotiate and get discounts from them.The key raw materials you need for your business are
You need to select the right materials according to your budget, so it doesn’t negatively impact the production process. Your production output should be based on the demand for sanitary pads in the market.
Other pieces of equipment you will need besides raw materials are:
The sanitary napkins manufacturing segment has been captured by top players, which means you need to invest in your marketing and production strategies. Offering your clients unique and high-quality products will help your business stand out. If you plan to partner with other major brands, these are the ones to watch out for.
Aslo Read – कौन सी फ्रेंचाइजी का बिज़नेस में अच्छा मुनाफा है और इसे कैसे करें?
Jayashree Industries make indigenous sanitary pads for women and they have set up manufacturing units across 23 states. They are considered one of the top sanitary napkins manufacturers in India and they use pinewood fibres to make their products.
Niine Private Limited has been on a mission to improve women’s health and hygiene in India and change the way sanitary pads are marketed by 2025. They offer a dedicated line of feminine hygiene products such as dry comfort double-perforated sanitary pads and their signature naturally soft range of napkins. All their sanitary pads are available in different sizes, with the largest being XL.
Many more players in the industry are competitors such as Carmesi, Purganics, and Saathi.
Conclusion
Now that you have the step-by-step process of setting up a sanitary napkin manufacturing unit in India, it’s time to get started. Be sure to carefully formulate a business plan according to your budget and choose the right location.
Q: Are eco-friendly sanitary pads available?
Ans:
Yes, many manufacturers are coming together to produce a lineup of biodegradable and eco-friendly sanitary pads for women. These are sold at affordable rates and the term ‘green pad’ is used for marketing them.
Q: How much profit margin can I expect to make from my sales?
Ans:
You can expect to make a profit margin of 30 to 40% on your total number of sales.
Q: What is the average sale price per sanitary napkin packet?
Ans:
The average selling price should be set to ₹20 per packet. Throughout the manufacturing process, other production costs will be involved, like raw materials, labour wages, salaries, etc.
Q: How much can I expect to earn from my sanitary pad business monthly?
Ans:
You can make anywhere between ₹70,000 to ₹1 lakh per month from your sanitary napkin business. The minimum investment needed to start is ₹15,000 for the smallest project cost.
Q: Are there any loans available for sanitary pad manufacturers in India?
Ans:
Yes, loan schemes are available for upcoming sanitary pad manufacturers in the country. The two most popular schemes are – the Stand-up India Loan scheme and the Pradhan Mantri Employment Generation Scheme.
Q: What is the cost of a semi-automatic sanitary pad machine?
Ans:
A semi-automatic sanitary pad machine will cost you between ₹2 lakhs to ₹5 lakhs
Q: Do I need VAT or GST registration for my sanitary napkin business?
Ans:
There is no need for VAT or GST registration if your sanitary napkin business has an annual turnover of fewer than ₹10 lakhs, and it is best to label your company as a proprietorship firm in such cases.
Q: How many sanitary pads should I aim to manufacture in a day?
Ans:
Your per day production goal should be 1500 napkins daily. No less than that; otherwise, it becomes difficult to distribute and hit sales targets.
Q: How much investment do I need to become a sanitary pad manufacturer in India?
Ans:
If you’re a small-scale woman entrepreneur who wants to start a sanitary napkin manufacturing business in India, you will need a minimum investment of ₹1 lakh. It considers labour costs, the cost of buying new equipment, work tables, and other essentials.
<p>The post Starting a Sanitary Napkin Manufacturing Business first appeared on Anju Jadon News & Blogs.</p>
]]><p>The post Hing Making Business in Hindi हींग बनाने का बिजनेस कैसे शुरू करें first appeared on Anju Jadon News & Blogs.</p>
]]>Hing Making Business भारतीय खाने में सबसे ज्यादा पसंद करने वाली हींग जो की भारत में सबसे ज्यादा लोकप्रिय है। भारतीय लोग इस बात को अच्छे से जानते हैं कि, जबतक हींग खाने में ना डाली जाए तबतक खाने में स्वाद नहीं आता है। ये सिर्फ खाने का स्वाद ही नहीं बढ़ाती बल्कि ये कई रोगों से लोगों को मुक्त भी कराती है। इसको औषधीय हींग भी कहते हैं जिसका इस्तेमाल आप घरेलू नुस्खों में कर सकते हैं, और होने वाली बीमारी जैसे- गैस की समस्या, पेट में कब्ज, पेट में दर्द, पाचन क्रिया को बढ़ाने आदि में कर सकते हैं। इससे आपको आराम भी मिलता है और घरेलू नुस्खे से आप ठीक भी हो जाते हैं। इसलिए हींग को हर एक खाने में इस्तेमाल में लाया जाता है.
हींग को हमेशा हमने डिब्बी में ही देखा है, लेकिन असल में हींग का एक पौधा होता है, जिसमें तेज गंध और उसका स्वाद काफी कठोर होता है। जिसके कारण इसका इस्तेमाल खाने के साथ इसे सौन्दर्य प्रसाधनों में खुशबु साथ ही पानी में मिलाकर खाने में डालने के लिए किया जाता है। साथ ही जो कोई भी बिजनेसमेन अपने मसालों में हींग की मात्रा को रखता है वो हींग के बिजनेस करने वाला व्यापारी ही कहलाता है। क्योंकि वो ज्यादा से ज्यादा हींग को अपने काम में लाता है।
हींग की यदि हम बात करें तो यह एक पौधा होता है जिसमें तेज गंध एवं कठोर स्वाद होता है। और इसमें अनेकों औषधीय गुण भी विद्यमान रहते हैं यही कारण है की इसका इस्तेमाल अनेकों सौन्दर्य प्रसाधनों में सुगन्ध देने के लिए तो खाद्य एवं पेय पदार्थों में स्वाद की बढ़ोत्तरी के लिए किया जाता है। और भारतीय खाने में ऐसे बहुत सारे व्यंजन हैं जिन्हें बनाने में हींग का इस्तेमाल एक प्रमुख मसाले के तौर पर किया जाता है।
इसलिए जब किसी उद्यमी द्वारा कच्चे हींग में स्टार्च या गोंद मिलाकर इसे स्वादिष्ट एवं मसाले के तौर पर इस्तेमाल में लाये जाने योग्य बनाया जाता है। तो उस उद्यमी द्वारा किया जाने वाला यह काम हींग बनाने का व्यापार या CompoundedAsafoetida Manufacturing Business कहलाता है।
ये बात पहले ही आपको बताई गई है कि, हींग का कच्चा माल ईरान या फिर अफगानिस्तान से आयात होता है। जिसके कारण यहां ईरानी और पठानी दोनों हींग काफी प्रसिद्ध है। ये भी कई प्रकार की होती हैं जिसके स्वाद में भी अंतर होता है। अगर आप चाह रहे हैं हींग का बिजनेस शुरू करना तो आपको कुछ बातों का खास ध्यान रखना होगा।
यह उत्पाद आप आसानी से कर सकते हैं क्योंकि इसका काम आसानी से और समय रहते हो जाता है। साथ ही इसका उत्पाद आपके लिए लाभकारी रहेगा क्योंकि आप इसे ज्यादा से ज्यादा स्टोर कर सकते हैं। हींग एक ऐसा पदार्थ है जिसकी नमी पानी और तेल के लिए एक ही समान है। इसका इस्तेमाल आप सुविधाजनक रूप में कर सकते हैं।
इसका उत्पाद चाहे वो घरेलू बाजार में हो या फिर विदेशी बाजार हर जगह अच्छा है जिसके कारण इसका अनुमान लगाया नहीं जा सकता की ये कहां सबसे ज्यादा है। जिसके कारण भारत अपनी हींग कई अन्य देशों में निर्यात करता है जैसे- यमन, बेल्जियम, ओमान आदि।
अगर कोई भी व्यक्ति हींग का व्यापार करने की सोच रहा है तो उसे सबसे पहले ये सोचना चाहिए कि, इसकी प्रक्रिया जितनी आसान है उतना आसान इसको स्टोर करना नहीं है क्योंकि इसका कच्चा माल आता है ईरान और अफगानिस्तान से जिसको स्टोर करने के लिए हमारे पास भरपूर मात्रा में भड़ार घर नहीं है। इसलिए यदि आप इसको स्टोर करके रखने की सोच रहे हैं तो सबसे पहले इसको रखने की जगह बनाए जहां इसे रखा जा सके आसानी से ताकि समय रहते ये इस्तेमाल में आ सके।
वैसे देखा जाय तो हींग बनाने की तकनीक एवं इसे संचालन करने की प्रक्रिया बेहद आसान है इसलिए इस व्यवसाय को कोई भी शुरू कर सकता है। लेकिन साथ में उद्यमी को यह भी समझना होगा की हमारे देश भारत में इसे बनाने में इस्तेमाल में लाये जाने वाला कच्चा माल यानिकी शुद्ध हींग अधिकतर बाहर देशों जैसे ईरान एवं अफगानिस्तान से आयात किया जाता है।
और यहाँ इसके भण्डारण की भी उचित व्यवस्था नहीं है इसलिए कच्चे माल की उपलब्धता एक बड़ी चुनौती Asafoetida Manufacturingमें उभरकर सामने आ सकती है। इसके बावजूद भी यदि कोई व्यक्ति इस तरह का बिजनेस शुरू करना चाहता है तो आगे इस लेख में हम स्टेप बाई स्टेप इसी के बारे में वार्तालाप करने का प्रयत्न कर रहे हैं।
आपको इसके लिए सबसे पहले इसपर रिसर्च करनी होगी की जिसका आप व्यापार करने जा रहे हैं, उसकी मांग आसपास के एरिया में कितनी है। लोगों को कौन सी हींग सबसे ज्यादा पसंद आ रही है। उस जगह उसकी खरीदी कितनी है। इन सबका एक डाटा तैयार किया जाता है जिसे सरल भाषा में सर्वे भी कहते हैं। ये सर्वे आगे आने वाले समय में काफी महत्वपूर्ण साबित होते हैं, क्योंकि इसके जरिए ही हमें लोगों के विचारो के बारे में पता चलता है। इसी से बनती है मार्केट रिसर्च। क्योंकि माल तभी बिकता है जब लोगों को पसंद आता है ऐसे में इसका डाटा होना काफी जरूरी हो जाता है।
इस बिजनेस के लिए आपको ऐसी जगह का प्रबंध करना है, जिसके आसपास सुख-सुविधा मौजूद हो। जैसे- बिजली, पानी, ट्रांस्पोर्ट की सेवा आदि। इससे आपका काम आसान हो जाएगा साथ ही आपका आने वाला कच्चा माल भी आसानी से जगह पर पहुंच जाएगा। अब सबसे बड़ी चुनौती है कच्चे माल रखने की जगह। आपको इसके लिए एक बड़ा गोदाम या फिर कोई बड़ा कमरा ढ़ूंढ़ना पड़ेगा जिसमें आप अपना सामान आसानी से रख सकते हैं। साथ ही इस बात का भी खास ध्यान रखना पड़ेगा कि, मार्किट पास हो ताकि आपका सामान वहां तक पहुंचने में कोई दिक्कत ना हो।
हींग के बिजनेस को करने के लिए आपको कई तरह के लाइसेंस साथ ही रजिस्ट्रेशन की जरूरत पड़ सकती है। आप इस बात की चिंता कर रहे हैं कि ये कैसे होगा तो इसकी चिंता मत करिए क्योंकि इसके नियम अलग हैं लेकिन अगर आप इसका पालन सही तरह से करेंगे तो ये आपको मिल जाएगा।
वैसे ये व्यवसाय इस बात पर निर्भर करता है कि, आप किस प्रकार के मशीनरी उपकरणों का चुनाव कर रहे हैं। मतलब इस उत्पाद की क्षमता कैसी रहेगी। क्योंकि समय के साथ इसमें कई प्रकार की मशीनों का इस्तेमाल किया जाएगा। लेकिन अगर आप चाहे तो कम बजट में भी इसका व्यापार शुरू कर सकते हैं। इसके लिए आप मशीन कम लगा सकते हैं जिससे आपके बजट में आने वाली मशीन काम करेगी। लेकिन इसमें समय ज्यादा लगेगा। जैसे-जैसे काम बढ़ेगा आपको इसके लिए मशीनों का उत्पादन भी बढ़ाना पड़ेगा। क्योंकि इससे ही आप इसको आगे बढ़ा सकते हैं।
इसको बनाने का तरीका हर किसी का अलग-अलग होता है जैसे कोई इसका चूरा बनाकर बेचता है तो कोई इसकी ढली जिसका टुकड़ा लोग अपने घर पर बनाते हैं। तो कोई दरदरा बनाता है। जैसे-जैसे हींग के नाम वैसे-वैसे उसके प्रकार जो बदलते रहते हैं।
कर्मचारी या स्टाफ दोनों ही काफी जरूरी है लेकिन इसका फैसला करता है आपका व्यापार अगर आप इसे बड़े स्तर पर शुरू करने की सोच रहे हैं तो आप इसके लिए स्टाफ के साथ-साथ कर्मचारी भी रखेंगे जो आपकी पैकेजिंग और मार्किंटिग दोनों में मदद करेगा। जहां एकतरफ स्टाफ इसके मार्किट वेल्यू बढ़ाएगे वहीं कर्मचारी इसका उत्पाद दोनों मिलकर इसका काम करेंगे तभी आपके बिजनेस को मुनाफा मिलेगा।
हींग का व्यापार करने में आपको 50 हजार रूपये तक की लागत आ सकती है. लेकिन यदि आप मशीनरी, कर्मचारियों की सैलरी एवं अन्य खर्चों की बात करें तो शुरुआत में आपको 1 लाख रूपये तक का खर्च आ सकता है लेकिन ये खर्च एक बार आयेगा इसके बाद आपको लाखों में कमाई होगी.
हींग का व्यापार में आपको हर महीने 3 लाख रूपये तक की कमाई होगी. क्योकि इसकी डिमांड बहुत अधिक होती है. इसलिए लोग इसे खरीदते है. और इससे आपकी कमाई भी अधिक होगी.
इसके लिए आप डिब्बी या पैकेट में पैकेज का इंतजाम कर सकते हैं। कुछ ऐसी जगाहों के लिए जहां लोग पैकेट में लेना पसंद करते हैं उनके लिए उस प्रकार की पैकेजिंग तैयार करें और कुछ डिब्बी में छोटी-बड़ी दोनों प्रकार की। क्योंकि अगर कोई छोटी हींग पसंद करना चाहे तो वो छोटी डिब्बी ले सके। उसे बड़ी ना लेनी पड़े। इससे वो भी आराम से हींग ले पाएगा और आप इसे बेचने में सफल हो पाएगे।
आप इसे मार्किट की किराना स्टोर पर जाकर बेंच सकते हैं। अगर आपको इसे और अच्छा दिखाना है तो घर-घर जाइए लोगों को इसका स्वाद चखाइए जिसके बाद वो इसे जरूर खरीदे। आप इसके लिए ऑनलाइन वेबसाइट जहां जरूरत के सामान मिलते हैं वहां जाकर बेच सकते हैं। इससे आपका काम आसान हो जाएगा और लोगों को इसके बारे में पता भी चल जाएगा।
आप चाहे तो इसके लिए आप घर-घर जाकर इसकी मार्केटिंग कर सकते हैं, साथ ही आजकल ऑनलाइन के जमाने में इससे बढ़िया प्लेटफॉर्म आपको मिलेगा नहीं तो आप वहां जाकर भी इसका प्रमोशन कर सकते हैं। साथ ही आप इसके फ्री सेंपल लोगों को इस्तेमाल के लिए दे सकते हैं ताकि वो इसे एक बार इस्तेमाल करें और हमेशा इसका स्वाद याद रख वापस इसे बेचने आए।
इस काम को आगे बढ़ने में किसी प्रकार का कोई जोखिम नहीं है बस आपको इस बात का ध्यान रखना है कि, हींग जहां बन रही है वहां साफ सफाई रहे इसे सही प्रकार और सही मात्रा में तैयार किया जाए। बराबर तरीके से इसमें खुशबु हो, ताकि लोग इस खाकर प्रसन्न हो और इसे लेने दोबारा जरूर आए।
हींग बनाने का बिजनेस यानिकी Compounded Asafoetida बनाने का बिजनेस शुरू करने के लिए उद्यमी को सर्वप्रथम जिस एरिया में वह यह व्यवसाय शुरू करना चाहता हो वहां पर रिसर्च करनी अति आवश्यक है। इसके लिए उद्यमी को उस एरिया में हींग की मांग का जायजा लेना होगा और फिर अपनी कम से कम बिक्री का भी जायजा लेना होगा जो उसे उसके व्यवसाय को बनाये रखने के लिए बेहद जरुरी है। अब अगला प्रश्न यह आता है की क्या उस एरिया में मौजूद हींग की माँग उसके व्यवसाय को बनाये रखने के लिए पर्याप्त है?
इसके अलावा मिश्रित हींग बनाने के लिए कच्चे माल को साल भर बनाये रखना भी किसी चुनौती से कम नहीं है इसलिए उद्यमी को उस एरिया में उपलब्ध कच्चे माल के सप्लायर से इस बारे में बात करने की आवश्यकता हो सकती है की क्या वह साल भर कच्चे माल की उपलब्धता बनाये रखने में सफल हो पायेगा।
यद्यपि इसमें कोई दो राय नहीं है की किसी भी बिजनेस के लिए लोकेशन की तलाश करना सबसे प्रमुख एवं जरुरी कार्य होता है। क्योंकि अधिकतर व्यवसाय ऐसे होते हैं जो उनकी लोकेशन की बदौलत ही सफलता का स्वाद चख रहे होते हैं। हालांकि जहाँ तक बात Compounded Asafoetida की है इसके लिए उद्यमी को ऐसी लोकेशन चाहिए होती है जहाँ सभी प्रकार की आधरभूत सुविधाओं जैसे बिजली, पानी सड़कों इत्यादि का उचित प्रबंध हो।
और इसके लिए 500 Square Feet जगह काफी रहेगी और जैसा की हम पहले भी बता चुके हैं लोकेशन ऐसी होनी चाहिए जहाँ से उत्पादित उत्पाद को टारगेट मार्किट तक आसानी से पहुँचाया जा सके। और आवश्यक कच्चा माल भी आसानी से ख़रीदा जा सके।
हींग बनाने का बिजनेस खाद्य से जुड़ा हुआ व्यवसाय है इसलिए व्यवसायिक तौर पर इसका निर्माण करने के लिए तरह तरह के लाइसेंस एवं रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता हो सकती है। यदि कई मामलों में राज्य के आधार पर लाइसेंस एवं रजिस्ट्रेशन सम्बन्धी नियम अलग भी हो सकते हैं। इसलिए Compounded Asafoetida व्यवसाय करने वाले उद्यमी को स्थानीय नियम एवं कानूनों के बारे में अवश्य पता करना चाहिए। कुछ की लिस्ट इस प्रकार से है।
वैसे देखा जाय तो इस व्यवसाय के लिए मशीनरी एवं उपकरणों का चयन इस बात पर निर्भर करेगा की उद्यमी के व्यवसाय का आकार क्या होगा? अर्थात उद्यमी केCompounded Asafoetida प्लांट की उत्पादन क्षमता क्या होगी। क्योंकि इस व्यवसाय में विभिन्न प्रकार की मशीनरी एवं उपकरण इस्तेमाल में लाये जाते हैं। इसलिए मशीनरी का चयन उद्यमी उत्पाद की मांग एवं अपने बजट के अनुरूप कर सकता है वैसे शुरूआती स्तर पर कम बजट के साथ ही इस तरह के व्यवसाय को शुरू करना उचित हो सकता है। कुछ प्रमुख मशीनरी एवं उपकरणों की लिस्ट निम्नवत है।
उद्यमी सप्लायर का चुनाव ऑनलाइन या ऑफलाइन किसी भी मोड के माध्यम से कर सकता है। जहाँ तक कच्चे माल की बात है इसके लिए शुद्ध ईरानी या पठानी हींग की आवश्यकता होती है। जिसे उद्यमी पाउडर, टेबलेट या फिर गाँठ स्वरूप में तैयार करके देशी एवं विदेशी बाज़ारों में बेच सकता है।
Compounded Asafoetida Manufacturing में सर्वप्रथम हींग के पेस्टी मास को पानी में भिगोने की आवश्यकता होती है। उसके बाद इस प्रक्रिया में मिक्सर ग्राइंडर का इस्तेमाल करके आवश्यक अनुपात में अन्य सामग्री जैसे स्टार्च एवं गोंद को मिलाया जाता है। फिर इसमें भीगी हुई हींग के घोल को डालकर अच्छी तरह मिलाना होता है। उसके बाद इस मिश्रित हींग को मिलिंग मशीन की मदद से पाउडर स्वरूप में बनाया जाता है। वैसे आम तौर पर देखा गया है की हींग पाउडर स्वरूप में ही बाज़ारों में अधिक बिकती है लेकिन आप चाहें तो इसे टेबलेट एवं गाँठ स्वरूप में भी बनाकर बेच सकते हैं।
उसके बाद हींग को पैक करके बाजार में बेचने के लिए उतरा जा सकता है। अपने उत्पाद को बेचने के लिए उद्यमी स्थानीय रिटेलर से संपर्क कर सकता है और उन्हें अच्छी मार्जिन ऑफर कर सकता है ताकि वे ग्राहकों को उसका ही उत्पाद बेच पायें। इसके अलावा ऑनलाइन प्लेटफोर्म के माध्यम से भी उद्यमी अपने उत्पाद बेच सकता है।
<p>The post Hing Making Business in Hindi हींग बनाने का बिजनेस कैसे शुरू करें first appeared on Anju Jadon News & Blogs.</p>
]]><p>The post CO2 Laser Cutting Machines, Laser Cutting Machines first appeared on Anju Jadon News & Blogs.</p>
]]>CO2 Laser cutting machines a wide variety of cutting options on different types of materials like acrylic, leather, wood, fabric ,plastic etc with high speed and accuracy. Cutting and engraving through laser is a non-contact process which results in high quality product with a freedom to create complex designs. Some of its well known applications are in fabric industry, leather industry, shoe industry, acrylic cutting , Pen engraving industry etc. By the means of laser cutting machine you can also engrave the same product at the same time with a little change in power setting. CO2 Laser cutting machines one of the best laser cutting machine manufacturers can provide you with the most feasible solution according to your industry both in terms of machine price and quality.
Perfect Laser design fiber laser marking machine with mini type, portable type, desktop type, lifting type, colorful type, standby type, full-closed type. Also provide rotary type fiber laser engraver, UV purple light metal laser engraver, 3D dynamic focus shifting working table fiber laser etcher for your choice. Widely used for metal engraving and some non-metal such as hard plastic including phone cell, animal ear tag marking, etc.
When making a choice to buy co2 laser cutting machine, you need to realize that the effectiveness of considerable investments will depend on its correctness. Therefore, the purchased equipment for Laser Engraving should bring the expected profit during operation. One of the factors of its growth is a reduction in financial expenses due to forced outages. This can be achieved by abandoning cheap low-quality laser cutting machines, for which it is often extremely difficult to find components.
Wattsan CO2 laser are available in the following modifications:
– Compact (working area 200х300, 500х300, 600х400 mm);
– The most popular medium format (working area 900х600, 1200х900, 1600х1000 mm);
– Large format (working area 1600х1200, 1800х3000, 2000х3000 мм).
– The power of the laser tubes used is within 40-150 W and directly affects the speed and accuracy of laser engraving.
The electricity supplied to the co2 laser tube is absorbed by carbon dioxide molecules. As a result, they begin to synchronously emit in-phase electromagnetic waves in a narrow frequency range that pass through the optical system. It provides focusing at the required radiation distance for laser engraving or cutting. According to the other two coordinates, the positioning of the cutting tool is carried out by an electromechanical system.
CO2 laser machine is used to engrave and cut:
– Fabric.
– plywood.
– cardboard.
– Acrylic and Plexiglass.
– other plastics.
Particular co2 laser machine models are suitable for:
For laser engraving on wood and Stone;
For Metal Cuttting.
See some product examples:
cardboard silhouettes of bats
wooden components of furniture elements:
smartphone cases with laser engraving:
Time-tested application technologies make it possible to practically eliminate the likelihood of industrial scrap. It is only necessary to take into account all the nuances of the operation and setting of the cutting mode of the co2 laser machines, and then the result will be exactly what is expected.
For example, when cutting small workpieces with a CO2 laser machine, engraving should be performed first. This will exclude their displacement, due to small fluctuations of the working surface, which is very harmful for the engraving process.
<p>The post CO2 Laser Cutting Machines, Laser Cutting Machines first appeared on Anju Jadon News & Blogs.</p>
]]>