ganesh ji ki murti kaise leni chahiye – Anju Jadon News & Blogs https://anjujadon.com News & knowledge in Hindi Tue, 10 May 2022 03:28:17 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.5.5 https://anjujadon.com/wp-content/uploads/2023/03/cropped-anjujadon_new-32x32.jpg ganesh ji ki murti kaise leni chahiye – Anju Jadon News & Blogs https://anjujadon.com 32 32 Ganesh Ji ki Murti Kaise Leni Chahiye क्यों कहा जाता है, बांए हाथ की ओर सूंड वाले गणेश शुभ होते हैं? https://anjujadon.com/ganesh-ji-ki-murti-kaise-leni-chahiye-ganesh-ji-ki-murti-kaise-rakhe/ https://anjujadon.com/ganesh-ji-ki-murti-kaise-leni-chahiye-ganesh-ji-ki-murti-kaise-rakhe/#respond Sun, 02 May 2021 20:11:13 +0000 https://anjujadon.com/?p=167 क्यों कहा जाता है, बांए हाथ की ओर सूंड वाले गणेश शुभ होते हैं?ganesh ji ki sund kis side honi chahiye? ganesh ji ki sund kis taraf honi chahiye? शिवजी ने गणेशजी को प्रथम पूज्य होने का वरदान दिया है। इसी वजह से कोई मांगलिक कर्म, पूजन आदि में सबसे पहले गणेशजी की आराधना ही […]

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क्यों कहा जाता है, बांए हाथ की ओर सूंड वाले गणेश शुभ होते हैं?
ganesh ji ki sund kis side honi chahiye? ganesh ji ki sund kis taraf honi chahiye? शिवजी ने गणेशजी को प्रथम पूज्य होने का वरदान दिया है। इसी वजह से कोई मांगलिक कर्म, पूजन आदि में सबसे पहले गणेशजी की आराधना ही की जाती है। सबसे पहले भगवान गणपति का ही स्मरण करना चाहिए। इससे आपकी सभी मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती है और सभी देवी-देवताओं की कृपा बनी रहती है।

इसलिए गणेश को परिवार का देवता माना गया है और नियमित रूप से इनके दर्शन मात्र से ही हमारी कई समस्याएं खुद की समाप्त हो जाती है।

गजानन को प्रथम पूज्य का पद प्राप्त हैं। इनकी आराधना से घर की सभी समस्याएं स्वत: ही खत्म हो जाती है और सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी होती है। कहा जाता है विघ्नहर्ता की मूर्ति अथवा चित्र में उनके बाएं हाथ की और सूंड घुमी हुई हो इस बात का ध्यान रखना चाहिए। लेकिन ये बात बहुत कम लोग जानते हैं कि घर में पंडितों व वास्तुविदों द्वारा दाएं हाथ के तरफ घुमी हुई सूंड वाले गणेश रखने को ही क्यों कहा जाता है?

दरअसल वास्तु व अन्य शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि दाएं हाथ की ओर घुमी हुई सूँड वाले गणेशजी हठी होते हैं तथा उनकी साधना-आराधना कठिन होती है। वे देर से भक्तों पर प्रसन्न होते हैं क्योंकि दाएं हाथ की सूंड वाले गणेशजी को तंत्र विधि से पूजना या मनाना ज्यादा आसान होता है। इनके पूजन की विधि बहुत कठिन होती है। इसीलिए दक्षिण दिशा की ओर सूंड वाले गणेशजी की बजाए बांयी हाथ की ओर सूंड वाले गणेशजी के पूजन करने के लिए कहा जाता है।

पूजा के समय मंत्र बोलना जरूरी क्यों होता है?
हिन्दू धर्म में पूजा करने को बहुत महत्व दिया जाता है। छोटे या बड़े किसी भी तरह के उत्सव या आयोजन के प्रारंभ से पहले पूजा या अनुष्ठान जरूर किया जाता है। पूजा या अनुष्ठान चाहे किसी भी देवता का हो बिना मंत्र जप के पूरा नहीं होता है। लेकिन बहुत कम लोग ये जानते हैं कि पूजन के समय मंत्र जप क्यों किया जाता है? दरअसल मंत्र एक ऐसा साधन है, जो मनुष्य की सोई हुई सुषुप्त शक्तियों को सक्रिय कर देता है। मंत्रों में अनेक प्रकार की शक्तियां निहित होती है, जिसके प्रभाव से देवी-देवताओं की शक्तियों का अनुग्रह प्राप्त किया जा सकता है। रामचरित मानस में मंत्र जप को भक्ति का पांचवा प्रकार माना गया है।

मंत्र जप से उत्पन्न शब्द शक्ति संकल्प बल तथा श्रद्धा बल से और अधिक शक्तिशाली होकर अंतरिक्ष में व्याप्त ईश्वरीय चेतना के संपर्क में आती है। जिसके फलस्वरूप मंत्र का चमत्कारिक प्रभाव साधक को सिद्धियों के रूप में मिलता है।शाप और वरदान इसी मंत्र शक्ति और शब्द शक्ति के मिश्रित परिणाम हैं। साधक का मंत्र उच्चारण जितना अधिक स्पष्ट होगा, मंत्र बल उतना ही प्रचंड होता जाएगा।वैज्ञानिकों का भी मानना है कि ध्वनि तरंगें ऊर्जा का ही एक रूप है। मंत्र में निहित बीजाक्षरों में उच्चारित ध्वनियों से शक्तिशाली विद्युत तरंगें उत्पन्न होती है जो चमत्कारी प्रभाव डालती हैं।

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