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नाग पंचमी पर नागों की पूजा क्यों जाती है?
हमारी सं स्कृति में हर साल नागपूजा की जाती है जिसे आम भाषा में नाग-पंचमी कहा जाता है। भगवान शिव भी सर्पों की माला गले में धारण करके मानो नाग देवता के प्रति आदर करने का उपदेश देते हैं।जैन धर्म, दर्शन तथा साहित्य में भी नाग को विशिष्ट स्थान दिया गया है। तेईसवें तीर्थंकर पाश्र्वनाथ के गर्भकाल में ही मां वामादेवी ने समीप में सरकते नाग को देखा जो दैवी दिव्यता का प्रतीक था। मान्यता है कि श्रावण मास के शुक्लपक्ष की पंचमी नागों को आनंद देने वाली तिथि है, इसलिए इसे नागपंचमी कहते हैं।
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार मातृ-शाप से नागलोक जलने लगा, तब नागों की दाह-पीड़ा श्रावण शुक्ल पंचमी के दिन ही शांत हुई थी। इस कारण नागपंचमी पर्व विख्यात हो गया। प्राचीन समय में जनमेजय के द्वारा नागों को नष्ट करने के लिए किए जा रहे यज्ञ से जब नाग-जाति के समाप्त हो जाने का संकट उत्पन्न हो गया, तब श्रावण-शुक्ल-पंचमी के दिन ही तपस्वी जरत्कारु के पुत्र आस्तीक ने उनकी रक्षा की थी। यह भी एक कारण है श्रावण शुक्ला पंचमी के नागपंचमी कहे जाने का।
कहीं-कहीं पर सोने, चांदी अथवा लकड़ी की कलम द्वारा पांच फन वाले पांच सर्पो को बनाने की प्रथा भी है। सर्पो के पूजन में दूध, पंचामृत या खीर चढ़ाई जाती है।सही मायने में नागपंचमी का त्योहार हमें नागों के संरक्षण की प्रेरणा देता है। पर्यावरण की रक्षा और वनसंपदा के संवर्धन में हर जीव-जंतु की अपनी भूमिका तथा योगदान है, फिर सर्प तो लोक आस्था में भी बसे हुए है।
पूजा में क्यों और कैसे कपड़े पहनने चाहिए?
पूजा के समय अनेक मान्यताओं का पालन किया जाता है। हिन्दू परंपरा के अनुसार पूजा में पुरूषों के लिए धोती और महिलाओं के लिए पीले रंग की साड़ी को श्रेष्ठ माना गया है। यह भी कहा जाता है कि पूजा के वस्त्रों को अलग रखना चाहिए।
सामान्यत: यह बात सभी जानते हैं कि पूजा में काले कपड़े नहीं पहनना चाहिए। यदि पीले,लाल या केसरिया कपड़े पहने जाएं तो उसे बहुत शुभ माना जाता है। परंतु ऐसी मान्यता क्यों है,और इसकी क्या वजह है?दरअसल अगर ज्योतिष के दृष्टिकोण से देखा जाए तो पीले रंग को गुरु का रंग माना जाता है।
ज्योतिष के अनुसार गुरु ग्रह आध्यात्मिक और धर्म का कारक ग्रह है। ऐसा माना जाता है कि पूजा में पीले,लाल रंग के कपड़े पहनने से मन स्थिर रहता है और मन में अच्छे विचार आते हैं।साथ ही पीले,लाल व केसरिया रंग को अग्रि का प्रतीक माना जाता है।
अग्रि को हमारे धर्म ग्रंथों में बहुत पवित्र माना गया है। इसलिए ऐसी मान्यता है कि पीला रंग पहनने से मन में पवित्र विचार आते हैं। काले रंग को देखकर मन में नकारात्मक भावनाएं आती हैं। इसके विपरीत पीले रंग को देखकर मन में सकारात्मक भाव आते हैं। इसलिए पूजा में पीले,लाल व केसरिया रंग के कपड़े पहनना चाहिए।
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