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तोरण, बांस के खंबे आदि में भी आम की पत्तियां लगाने की परंपरा है।
दरअसल हमारी भारतीय संस्कृति में आम के पेड़ की लकडिय़ों का उपयोग समिधा के रूप में वैदिक काल से ही किया जा रहा है। माना जाता है कि आम की लकड़ी, घी, हवन सामग्री आदि के हवन में प्रयोग से वतावरण में सकारात्मकता बढ़ती है। घर के मुख्यद्वार पर आम की पत्तियां लटकाने से घर में प्रवेश करने वाले हर व्यक्ति के प्रवेश करने के साथ ही सकारात्मक ऊर्जा घर में आती है।जिससे घर में सुख व समृद्धि बढ़ती है।इन्हें लटकाने से बिना विघ्न सारे मांगलिक कार्य सम्पन्न हो जाते हैं। इसीलिए दरवाजे पर आम के पत्तों को लटकाना हमारे शास्त्रों के अनुसार बहुत शुभ माना गया है।
शिवलिंग पर चढ़ाया गया प्रसाद लेना चाहिए या नहीं?
शिव को शंकर, भोले, महाकाल, निलकंठेश्वर और भी कितने ही नामों से पुकारा जाता है। शिव ही एक मात्र ऐसे देवता हैं जिनका लिंग के रूप में पूजन किया जाता है। माना जाता है कि शिवजी ने कभी कोई अवतार नहीं लिया। मान्यता है कि शिवजी का शिवलिंग के रूप में पूजन करने से जन्मों के पापों का नाश हो जाता है। कई लोग नियमित रूप से शिवलिंग की पूजा व आराधना कर व कुछ लोग नियमित रूप से मंदिर जाकर शिवलिंग को नैवेद्य अर्पित करते हैं। लेकिन बहुत कम लोग उसे प्रसाद रूप में ग्रहण करते हैं।
अधिकांश लोग शिवलिंग पर चढ़ाए गए प्रसाद को ग्रहण नहीं करते हैं क्योंकि उनके मन में यही भावना होती है कि शिवलिंग पर चढ़ा हुआ प्रसाद ग्रहण करना चाहिए या नहीं। शिवपुराण के अनुसार जो बाहर व भीतर से शुद्ध है, उत्तम व्रत का पालन करने वाले हर व्यक्ति को शिव को चढ़ाया गया प्रसाद जरूर ग्रहण करना चाहिए। शिव के नैवेद्य को देख लेने मात्र से ही कई दोष दूर हो जाते हैं। उसको देख लेने से करोड़ो पुण्य भीतर आ जाते हैं। स्फटिक शिवलिंग, रत्नजडि़त शिवलिंग, केसर निर्मित शिवलिंग आदि किसी भी तरह के शिवलिंग पर नैवेद्य चढ़ाने से और उसे ग्रहण करने से ब्रह्म हत्या करने का पाप भी नष्ट हो जाता है। इसीलिए शिवलिंग पर चढ़ाया गया प्रसाद जरूर ग्रहण करना चाहिए।
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