Vastu Shastra – Anju Jadon News & Blogs https://anjujadon.com News & knowledge in Hindi Wed, 22 Mar 2023 09:35:30 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.5.5 https://anjujadon.com/wp-content/uploads/2023/03/cropped-anjujadon_new-32x32.jpg Vastu Shastra – Anju Jadon News & Blogs https://anjujadon.com 32 32 घर पर किस प्रकार की तुलसी रखनी चाहिए? जाने सब कुछ https://anjujadon.com/kon-se-tulsi-is-best-hai-ghar-mai-lagane-ke-liye/ https://anjujadon.com/kon-se-tulsi-is-best-hai-ghar-mai-lagane-ke-liye/#comments Wed, 22 Mar 2023 09:35:29 +0000 https://anjujadon.com/?p=1658 घर पर किस प्रकार की तुलसी रखनी चाहिए? जाने सब कुछ, रामा तुलसी या श्यामा तुलसी। रामा और श्यामा तुलसी दोनों पौधों के इलाज के गुण सर्वविदित हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार, पवित्र तुलसी या हरी तुलसी का पौधा सबसे व्यापक रूप से पहुँच में रहने वाला तुलसी का पौधा है

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तुलसी के पौधे की लगभग 100 अलग-अलग किस्में हैं, लेकिन राम, कृष्ण, वाना और कपूर तुलसी शायद सबसे प्रसिद्ध और बड़े पैमाने पर लगाये/बोये जाते हैं।

तुलसी, एक चमत्कारिक पौधा है जो पारंपरिक उपचारों का एक प्रमुख आधार रहा है, महत्वपूर्ण औषधीय और उपचारात्मक क्षमताओं के साथ भारत के सबसे प्रसिद्ध मसालों और जड़ी-बूटियों में से एक है। तुलसी, जिसे पवित्र तुलसी के रूप में भी जाना जाता है, एक आकर्षक भारतीय पौधा है जिसे किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। एक मजबूत चिकित्सा जड़ी-बूटी के लिए धार्मिक विरासत का एक अभिन्न अंग बनकर, पौधा लंबे समय से हमारे प्रतिदिन के जीवन जीवन का अभिन्न अंग रहा है।

तुलसी, साथ ही इसके अर्क का इस्तेमाल यूनानी से लेकर आयुर्वेद से लेकर आधुनिक दवाई तक उपचार और इम्यून-बूस्टिंगने वाली दवाओं को बनाने में एक सक्रिय एलीमेंट/तत्व के रूप में किया गया है, लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि तुलसी के विभिन्न प्रकार हैं, और न केवल हैं वे इम्यूनिटी के लिए सर्वोत्तम हैं, लेकिन वे स्वाभाविक रूप से वजन मैनेजमेंट में भी सहायता करते हैं।

तुलसी के प्रकार: पवित्र तुलसी की किस्में

लगभग 100 अलग-अलग किस्में हैं, लेकिन ये चार शायद सबसे प्रसिद्ध और व्यापक रूप से लगाने/बोने वाले हैं:

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राम तुलसी

रामा तुलसी, जिसे ब्राइट तुलसी के नाम से भी जाना जाता है, एक व्यापक पत्ती प्रकार है जो भारत, चीन, दक्षिण अमेरिका और नेपाल में ग्रो होती हैं।

अन्य पवित्र तुलसी की तुलना में इसका स्वाद हल्का होता है लेकिन पत्तियों को कुचलने के बाद इसकी महक ज्यादा होती है और माना जाता है कि यह अच्छे पाचन को प्रमोट करती है।

कृष्णा तुलसी

बैंगनी पत्ती वाली तुलसी, जिसे कृष्णा तुलसी के नाम से भी जाना जाता है, हरी तुलसी की तुलना में कम होती है। यह सांस से सम्बन्धित समस्याओं, कान की बीमारियों और त्वचा की समस्याओं के लिए बहुत अच्छा है।

यह अन्य किस्मों की तुलना में ज्यादा धीरे-धीरे बढ़ता है; यह इसके मसालेदार, तीखे स्वाद और बदबू के लिए जिम्मेदार हो सकता है। बैंगनी पत्ती वाली तुलसी का हल्का स्वाद होता है और यह तुलसी की अन्य किस्मों की तुलना में कम कड़वी होती है।

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वन तुलसी

वन तुलसी का पता लगाना सबसे चुनौतीपूर्ण प्रकार है, जिसे जंगली वन पवित्र तुलसी के रूप में भी जाना जाता है। यह हिमालय की तलहटी में पनपती है और सभी पवित्र तुलसी किस्मों में से एक बेहतरीन और स्वास्थ्यप्रद है। ऊपरी पत्ती चमकीले हरे रंग की होती हैं, जबकि निचली पत्ती गहरे हरे रंग की होती हैं।

कपूर तुलसी

कपूर तुलसी इलाज के फायदों से भरपूर है, और इसकी महहकदार सुगंध मच्छरों और कीड़ों को दूर भगा सकती है। इसके अलावा, तुलसी की इस किस्म का इस्तेमाल जानलेवा बीमारियों के इलाज के लिए किया गया है।

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घर में कौन-सी तुलसी लगानी चाहिए?

आप इन दो तुलसी प्रकारों में से कोई भी घर पर उगा सकते हैं- रामा तुलसी या श्यामा तुलसी। रामा और श्यामा तुलसी दोनों पौधों के इलाज के गुण सर्वविदित हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार, पवित्र तुलसी या हरी तुलसी का पौधा सबसे व्यापक रूप से पहुँच में रहने वाला तुलसी का पौधा है और इसे अनुकूल माना जाता है। भारत में तुलसी का पौधा कई प्रकार की किस्मों में आता है।

‘श्री तुलसी’, जिसे अक्सर ‘उज्ज्वल तुलसी’, ‘राम तुलसी’, या ‘भाग्यशाली तुलसी’ कहा जाता है, हरी पत्तियों वाली तुलसी है। राम तुलसी (ओसीमम गर्भगृह) का इस्तेमाल धार्मिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है और यह अपनी औषधीय पावर के लिए प्रसिद्ध है। इस किस्म की तुलसी की पत्तियों में तुलसी की अन्य किस्मों की तुलना में मीठा स्वाद होता है।

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श्यामा तुलसी, जिसे ‘डार्क तुलसी’ या ‘कृष्णा तुलसी’ के नाम से भी जाना जाता है, गहरे हरे/बैंगनी पत्तीऔर बैंगनी तने वाली एक किस्म है। यह भगवान कृष्ण से जुड़ी हुई है क्योंकि इसका बैंगनी रंग भगवान कृष्ण की काली त्वचा के समान है। श्यामा तुलसी (Ocimumtenuiflorum) खास इलाज गुणों के साथ एक तुलसी भिन्नता है जैसे कि गले के संक्रमण, त्वचा की बीमारियों, कान में दर्द, नाक की चोटों और सांस से सम्बन्धित समस्याओं का इलाज।

उपरोक्त वेरायटियों के अलावा, वन तुलसी, जिसे जंगली तुलसी के रूप में भी जाना जाता है, और कपूर तुलसी दो और भारतीय वेरायटी हैं जिन्हें घर पर उगाया जा सकता है।

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Vastu Tips: घर के मंदिर में कभी ना रखें माचिस, कारण जान लेंगे तो कभी नहीं करोगे गलती! https://anjujadon.com/vastu-tips-puja-room-never-keep-matches-in-temple-of-house-puja-ghar/ https://anjujadon.com/vastu-tips-puja-room-never-keep-matches-in-temple-of-house-puja-ghar/#respond Wed, 18 Jan 2023 17:34:49 +0000 https://anjujadon.com/?p=1597 Ghar me Mandir : हिंदू धर्म में पूजा-पाठ का बहुत महत्‍व है इसलिए अधिकांश घरों में मंदिर होता है. घर में बने मंदिर के लिए ज्‍योतिष और वास्‍तु शास्‍त्र में कुछ चीजें रखने की मनाही की गई है. मंदिर में इन चीजों का होना घर में नकारात्‍मकता लाता है और कई तरह से नुकसान पहुंचाता है. […]

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Ghar me Mandir : हिंदू धर्म में पूजा-पाठ का बहुत महत्‍व है इसलिए अधिकांश घरों में मंदिर होता है. घर में बने मंदिर के लिए ज्‍योतिष और वास्‍तु शास्‍त्र में कुछ चीजें रखने की मनाही की गई है. मंदिर में इन चीजों का होना घर में नकारात्‍मकता लाता है और कई तरह से नुकसान पहुंचाता है. पूजा रूम में रखने से वर्जित की गई इन चीजों में माचिस भी शामिल है. आइए जानते हैं माचिस समेत किन चीजों को मंदिर में रखना वर्जित किया गया है और क्‍यों किया गया है. 

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घर के मंदिर में क्‍यों नहीं रखना चाहिए माचिस 
 
घर में बना मंदिर घर का सबसे पवित्र स्थान होता है यहां पर माचिस रखना घर में नकारात्‍मकता लाता है और अपशगुन का कारण बनता है. घर के मंदिर में देवी-देवताओं की मूर्ति-तस्‍वीरें रखी जाती हैं, उनकी पूजा की जाती है इसलिए यहां पर हमेशा पवित्र और सकारात्‍मकता लाने वाली चीजें ही रखनी चाहिए. वरना देवी-देवता नाराज होकर दंड दे सकते हैं. यदि मंदिर के आसपास माचिस रखनी ही है तो उसे अलमारी या दराज में रखें. माचिस को खुले में न रखें. इसके अलावा दीप-धूप के समय माचिस इस्‍तेमाल करने के बाद तीलियों को वहीं आसपास न फेंकें. ये तीलियां नकारात्‍मक ऊर्जा आकर्षित करती हैं और कई तरह से नुकसान का कारण बनती हैं. माना जाता है कि घर के मंदिर में माचिस या लाइटर जैसा ज्वलनशील सामान रखने से पूजा का फल नहीं मिलता है. 

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हमेशा अपने पूजा घर को साफ रखना चाहिए. घर के पूजा घर में बिखरी हुई जली हुई माचिस की तीली नही रखनी चाहिए. जैसे ही आप दीपक जलाते हैं. माचिस की तीली डस्टबिन में डाल दीजिए. मंदिर के आसपास कही पर भी नहीं फेंके!

पूजा घर में अगर मुरझाये हुए फुल है तो हटा देने चाहिए. मुरझाए हुए फुल घर में नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करते है. घर का मंदिर जितना साफ रखोगे उतनी ही सकारात्मक ऊर्जा घर में बनी रहेगी. और हमारे देवी-देवता प्रसन्न होकर सभी हमारी सभी समस्या का निवारण करेंगे

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इन चीजों को भी हटा दें मंदिर से 

– घर के मंदिर में कभी भी मुरझाए हुए फूल ना रखें. ऐसा करना आर्थिक तरक्‍की और करियर में सफलता को रोकता है. कई तरह की रुकावटें पैदा करता है. 

– मंदिर में देवी-देवताओं की खंडित मूर्ति या तस्‍वीरें रखना जीवन में बड़ी विपत्ति ला सकता है. घर में कलह, धन हानि, बीमारी का कारण बनता है. 

– एक ही देवी-देवता की एक से ज्‍यादा मूर्तियां रखना घर में बड़ा वास्‍तु दोष पैदा करता है. ना ही पूजा घर में पूर्वजों की तस्‍वीर रखें. इनका स्‍थान अलग होन चाहिए. 

– धूप बत्‍ती, अगरबत्‍ती की राख मंदिर में न रखें. ना ही दीपक की जली हुई बाती रखें.

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घर के मंदिर में किस रंग का बल्ब लगाना चाहिए

अगर देखा जाए तो भगवान के दीपक के लौ का रंग, भगवान को चढ़ाए जाने वाले पुष्प का रंग, पूजा के समय धारण करने वाले वस्त्र का रंग यह सभी वस्तु पिली होती हैं. प्राचीन ग्रंथो के अनुसार माना जाए तो भगवान का प्रिय रंग पिला हैं.

इसलिए घर के मंदिर में सात्विक भरे वातावरण के लिए शुभ फल की प्राप्ति के लिए पीले रंग का बल्ब लगाना चाहिए.

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अगर आपके घर के आसपास ये पेड़-पौधे, हो जाएं सावधान https://anjujadon.com/tree-plant-tree-vastu-shastra-outdoor-tree/ https://anjujadon.com/tree-plant-tree-vastu-shastra-outdoor-tree/#comments Thu, 10 Nov 2022 09:53:13 +0000 https://anjujadon.com/?p=1498 वास्तुशास्त्र वास्तुशास्त्र में घर के आसपास पेड़-पौधे होना बहुत शुभ होता है, लेकिन घर की किस दिशा में कौनसा वृक्ष होना चाहिए यह देखना भी जरूरी है। कुछ वृक्ष सकारात्मक ऊर्जा देते हैं और कुछ नाकारात्मक। इनमें से जो पेड़ या वृक्ष सकारात्मक ऊर्जा देते हैं उन्हें घर की किस दिशा में लगाएं यह जानना […]

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वास्तुशास्त्र वास्तुशास्त्र में घर के आसपास पेड़-पौधे होना बहुत शुभ होता है, लेकिन घर की किस दिशा में कौनसा वृक्ष होना चाहिए यह देखना भी जरूरी है। कुछ वृक्ष सकारात्मक ऊर्जा देते हैं और कुछ नाकारात्मक। इनमें से जो पेड़ या वृक्ष सकारात्मक ऊर्जा देते हैं उन्हें घर की किस दिशा में लगाएं यह जानना जरूरी है। हालांकि पेड़ लगाने से बुरा नहीं अच्छा ही होता है, यहां पेड़ लगाने का विरोध नहीं है लेकिन कहा यह जा रहा है कि किसी वास्तुशास्त्री से पूछकर ही पेड़-पौधे लगाएं। अच्छे पेड़ पौधे लगाएं।

पीपल, बरगद, नीम, शमी और बांस के पेड़ बहुत अच्छे होते हैं। लेकिन उन्हें घर के द्वार के ठीक सामने नहीं लगाया जा सकता। वास्तुशास्त्र में वृक्षवेध के बारे में भी उल्लेख मिलता है। उक्त पेड़ों को लगाना चाहिए लेकिन किस दिशा में यह जरूर जानें।

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1. घर की पूर्व दिशा की ओर पीपल और बरगद के वृक्ष लगाने शुभ नहीं होते। इनसे स्वास्थ्य हानि, प्रतिष्ठा में कमी एवं अपकीर्ति के संकेत मिलते हैं।

2. जिन पेड़ों से गोंद निकलता हो अर्थात चीड़ आदि घर के परिसर में नहीं लगाने चाहिए। यह धनहानि की आशंका को बढ़ाता है।

3. बैर, पाकड़, बबूल, गूलर आदि कांटेदार पेड़ घर में दुश्मनी पैदा करते हैं। इनमें जति और गुलाब अपवाद हैं। घर में कैक्टस के पौधे नहीं लगाएं।

4. पाकड़, गूलर, आम, नीम, बहेड़ा तथा कांटेदार वृक्ष, पीपल, अगस्त, इमली ये सभी घर के समीप निंदित कहे गए हैं। घर की छाया से थोड़ी दूर पर पीपल, आम और नीम लगा सकते हैं।

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5. दक्षिण पूर्व दिशा अर्थात आग्नेय कोण की ओर पलाश, जवाकुसुम, बरगद, लाल गुलाब अशुभ एवं कष्टदायक होते हैं। इस दिशा में लाल फूलों के वृक्षों व लताएं तथा कांटे वाले वृक्ष अनिष्टकारक एवं मृत्युकारक माने गए हैं।

6. आवासीय परिसर में दूध वाले वृक्ष लगाने से धनहानि होती है।

7. पूर्व में लगे फलदार वृक्ष से संतति की हानि, पश्चिम में लगे कांटेदार वृक्ष से शत्रु का भय, दक्षिण में दूधवाले वृक्ष लगे होने से धन नाश होता है। ये वृक्ष पीड़ा, कलह, नेत्ररोग तथा शोक प्रदान करते हैं। हालांकि ये वृक्ष घर की किसी भी दिशा में नहीं हों, तो ही अच्छा है।

8. कदम्ब, केला और नींबू जिसके घर में उत्पन्न होता है, उस घर का मालिक कभी विकास नहीं करता। अत: इसकी दिशा का ज्ञान होना जरूरी है।

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9. घर की दक्षिण दिशा में गुलमोहर, पाकड़, कटहल के वृक्ष लगाने से अकारण शत्रुता, अर्थनाश, असंतोष व कलह होने की आशंका रहती है।

10. जामुन और अमरूद को छोड़कर फलदार वृक्ष भवन की सीमा में नहीं होने चाहिए। इससे बच्चों का स्वास्थ्य खराब होता है।

11. कहते हैं कि पूर्व में पीपल, अग्निकोण में दुग्धदार वृक्ष, दक्षिण में पाकड़, निम्ब, नैऋत्य में कदम्ब, पश्चिम में कांटेदार वृक्ष, उत्तर में गूलर, केला, छाई और ईशान में कदली वृक्ष नहीं लगाना चाहिए। किसी वास्तुशास्त्री से सलाह लें।

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