Jyotirlingas-Temples

12 ज्योतिर्लिंग कौन कौन से राज्य में है? भारत में प्रमुख शिवस्थान अर्थात ज्योतिर्लिंग बारह हैं । ये तेजस्वी रूप में प्रकट हुए । तेरहवें पिंड को कालपिंड कहते हैं । काल-मर्यादा के परे पहुंचे पिंड को (देहको) कालपिंड कहते हैं । ये बारह ज्योतिर्लिंग निम्नानुसार हैं ।

ज्योतिर्लिंगस्थान
१. सोमनाथप्रभासपट्टण, वेरावल के पास, सौराष्ट्र, गुजरात.
२. मल्लिकार्जुनश्रीशैल, आंध्रप्रदेश
३. महाकालउज्जैन, मध्यप्रदेश
४. ओंकार / अमलेश्वरओंकार, मांधाता, मध्यप्रदेश
५. केदारनाथउत्तराखंड
६. भीमाशंकरडाकिनी क्षेत्र, तालुका खेड, जनपद पुणे, महाराष्ट्र.
७. विश्वेश्वरवाराणसी, उत्तरप्रदेश
८. त्र्यंबकेश्वरनासिक के पास, महाराष्ट्र
९. वैद्यनाथ (वैजनाथ)(टिप्पणी १)परळी, जनपद बीड, महाराष्ट्र
१०. नागेश (नागनाथ)(टिप्पणी २)दारुकावन, द्वारका, गुजरात
११. रामेश्वरसेतुबंध, कन्याकुमारी के पास, तमिलनाडु.
१२. घृष्णेश्वर (घृष्णेश)वेरूळ, जनपद औरंगाबाद, महाराष्ट्र.

टिप्पणी १ – पाठभेद : वैद्यनाथधाम, झारखंड.
टिप्पणी २ – पाठभेद १ : अलमोडा, उत्तर प्रदेश
पाठभेद २ : औंढा, जनपद हिंगोली, महाराष्ट्र.

ये बारह ज्योतिर्लिंग प्रतीकात्मक रूप में शरीर है; काठमंडू का पशुपतिनाथ ज्योतिर्लिंगों का शीश है ।

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शिव के 12 ज्योतिर्लिंग का महत्व, कहानी और कहां-कहां स्थित हैं | Name, Place and List of Shiva 12 Jyotirlingas in hindi

नमस्कार पाठकों भारत एक ऐसा देश है जहां अध्यात्म में आस्था रखने वाले लोग बसते हैं। भारत मंदिरों का देश है और यहां कई ऐसे विशिष्ठ धाम है जहां पर भक्तों का तांता हमेशा लगा रहता है। आज हम भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग के महत्व व विशेषता के बारें में विस्तार से बताएंगे ।

कहां जाता है जो भी व्यक्ति अपने पूरें जीवन में एक बार शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर लेता है तो वह सभी दोषों से मुक्त होकर मृत्यु पश्चात मोक्ष को प्राप्त कर लेता है। सौभाग्यशाली लोग ही अपने जीवन में शिव के 12 ज्योतिलिंगों के दर्शन कर पाते हैं। (Shiva 12 Jyotirlinga in hindi)

आज के लेख में हम आपको बताएंगे कि 12 ज्योतिर्लिंगों के नाम क्या-क्या है। शिव के 12 ज्योतिर्लिंग कहां-कहां स्थित हैं? तथा उनसे जुड़ी कुछ रोचक बातें।

ज्योतिर्लिंग का अर्थ क्या है? ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति?

ज्योतिर्लिंग दो शब्दों से मिलकर बनता है ज्योति़लिंग। शिव प्रकाशमान ज्योति के रूप में प्रकट हुये थे। धार्मिक मान्यताओं व ग्रथों के अनुसार शिव साक्षात रुप में एक दिव्य ज्योति के रूप में साक्षात प्रकट हुये थे। यह धरती के 12 अलग-अलग स्थानों पर अपने विभिन्न रूपों में साक्षात विराजमान हुये थे।

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ज्योतिर्लिंग अर्थ प्रकाश स्तंभ होता है। ऐसा कहा जाता है कि एक बार भगवान ब्रह्मा को और भगवान विष्णु के बीच में यह बहस हुई कि कौन सर्वाेच्च देवता है। तभी भगवान शिव प्रकाश स्तंभ के रूप में प्रकट हुए और प्रत्येक से इस प्रकाश स्तम्भ का अंत खोजने को कहा। भगवान विष्णु ऊपर की ओर भगवान ब्रह्मा नीचे की ओर इस ज्योतिर्लिंग का अंत खोजने के लिए चले गए। लेकिन फिर भी उन्हें इसका अंत नहीं मिला। उसके बाद में भगवान शिव ने प्रकाश स्तंभ को पृथ्वी पर गिरा दिया और आज उसे ही ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है।

शिव के 12 ज्योतिर्लिंग का महत्व, कहानी, और कहां-कहां स्थित हैं ज्योतिर्लिंग

1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग-गुजरात

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग भारत के गुजरात में स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग गुजरात के सौराष्ट्र नामक क्षेत्र में स्थित है। यह पृथ्वी का पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। यहां पर माना जाता है कि देवताओं ने पवित्र कुंड बनाया था जिसे सोमनाथ कुंड माना जाता है। इस कुंड में स्नान करने से व्यक्ति के मनुष्य के या किसी भी जीव के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। और वह मृत्यु-जन्म के चक्र से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त करता है।

मित्रों सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का उल्लेख ऋग्वेद, शिव पुराण, स्कंद पुराण, श्रीमद भगवत गीता में भी मिलता है। इससे हम यह अनुमान लगा सकते हैं कि यह मंदिर कितना पुराना हो सकता है।

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ऐसा माना जाता है कि सबसे पहले इस मंदिर को भगवान ने चंद्रदेव ने बनाया था भगवान चन्द्र देव को सोमदेव के नाम से भी जाना जाता है। पुराणों के अनुसार इस मंदिर के सुनहरे का भाग का निर्माण चंद्रदेव ने किया और चांदी का भाग सूर्यदेव ने बनाया। चंदन के भाग को भगवान श्री कृष्ण ने बनवाया और पत्थर की संरचना को भीमदेव नामक राजा ने बनवाया। इस मंदिर पर महमूद गजनबी ने तकरीबन 16 बार आक्रमण किया और 16 बार इसे खंडित किया। और इसे फिर से 16 बार वापस खड़ा किया गया।

2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग-आध्रप्रदेश

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आध्रप्रदेश के कृष्णा नदी के तट पर स्थित है और यह ज्योतिर्लिंग श्रीशैल नामक पर्वत पर स्थित है।

कई राजाओं ने मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का रखरखाव करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था। लेकिन इतिहास की किताबों में जो पहला नाम मिलता है वह सतवाहन साम्राज्य का है।

छत्रपति शिवाजी महाराज ने भी मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के रखरखाव में अपना योगदान दिया था। मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की एक खास बात यह भी है कि इसी के पास में एक शक्तिपीठ भी है भारत में कुल 51 शक्तिपीठ है।

3. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग-उज्जैन, मध्यप्रदेश

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित है यह 12 ज्योतिर्लिंगों में एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जो दक्षिण मुखी है और यहां प्रतिदिन 5000 से ज्यादा भक्त पूजा के लिए आते हैं। त्योहारों पर तो यहां 20,000 से 30,000 भक्तों का तांता लग जाता है।

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महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है जो अपने आप प्रकट हुआ था महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में भगवान शिव की पूजा जलती हुई चिता की राख व भस्म से महाकाल शिव की पूजा की जाती है।

4. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग-मांधाता, मध्यप्रदेश

यह ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में शिवपुरी द्वीप स्थित है। इसे मंधाता पर्वत के नाम से भी जाना जाता है। इस ज्योतिर्लिंग के पास में नर्मदा नदी बहती है। यह इंदौर शहर से लगभग 75 किमी की दूरी पर स्थित है। ओंकारेश्वर मंदिर का नाम ओंकारेश्वर इसलिए पड़ा है क्योंकि यह ज्योतिर्लिंग के चारों और पहाड़ है और पहाड़ के चारों और जो नदी बहती है वह ओम का आकार बनाती है।

इसलिए इसे ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है। ओंकारेश्वर का अर्थ होता है ओम के आकार का ज्योतिर्लिंग।

5. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग-उत्तराखंड

ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड में स्थित है। मित्रों केदारनाथ ज्योतिर्लिंग पूरे विश्व में सबसे अधिक लोकप्रिय ज्योतिर्लिंग है और यहां पर विश्व भर से लाखों लोग भगवान केदारनाथ के दर्शन के लिए आते हैं और इन लोगों में केवल हिंदू ही नहीं क्रिश्चियन और यहूदी धर्म के लोग भी आते हैं।

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग समुद्र तल से तकरीबन 3584 मीटर ऊंचा है। अर्थात इतनी ऊंचाई पर स्थित है।

भगवान केदारनाथ का मंदिर बद्रीनाथ के स्थान पर स्थित है।

ऐसा भी माना जाता है कि केदारनाथ धाम की खोज पांडवों ने कही थी वह अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए केदारनाथ धाम पहुंचे थे। और केदारनाथ मंदिर का निर्माण पांडवों ने ही सबसे पहले करवाया था। इसके बाद इसका पुनर्निर्माण आदिशंकराचार्य जी ने करवाया था।

6. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग-पुणे, महाराष्ट्र

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र में स्थित है। महाराष्ट्र के सम्हाद्री नामक पर्वत पर स्थित है।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के बारे में आपको एक कथा बताते हैं जो रामायण काल से जुड़ी हुई है। जब भगवान राम ने कुंभकरण का वध कर दिया था तब कुंभकरण की कर्कटी नामक पत्नी के पुत्र भीम को कर्कटी ने देवताओं से दूर रखने का निश्चय किया।

जब भीम को पता चला कि देवताओं ने उसके पिता का वध कर दिया तो उसने बदला लेने के लिए ब्रह्मा जी की तपस्या करी और महान बलशाली होने का वरदान मांगा। इसी कारण उन्होंने कामरूपेक्ष्प नामक राजा को बंदी बनाकर काल कोठरी में डाल दिया। क्योंकि वह शिव जी के भक्त थे।

भीम ने कहा कि तुम मेरी पूजा करो लेकिन कामरूपेक्ष्प ने एसा करने से मना कर दिया और भीम ने कामरूपेक्ष्प को मारने की कोशिश करी। तभी भगवान शिव ने वहां प्रकट होकर भीम का वध कर दिया तभी देवताओं ने भगवान शिव से प्रार्थना करी कि वे वही अपने ज्योतिर्लिंग के रूप में निवास करें। तब से इस ज्योतिर्लिंग का नाम भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग पड़ गया।

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7. भगवान काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग – वाराणसी, उ.प्र.

भगवान विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में स्थित है। वाराणसी पूरे भारत की धार्मिक राजधानी मानी जाती है।

विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग को काशी विश्वनाथ की कहा जाता है। और यह मान्यता है कि जब पृथ्वी बनी थी तब सूर्य की पहली किरण काशी पर ही गिरी थी। इस मंदिर को कई बार तोड़ने की कोशिश करी गई औरंगजेब ने किस मंदिर को तोड़ने की कोशिश करी। और इसके के पास एक मंदिर था जिसे भी तोड़ने की कोशिश करी गई और वहां पर एक मस्जिद का निर्माण कराया गया और वही मस्जिद आज ज्ञानवापी मस्जिद के नाम से जानी जाता है।

8. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग-नासिक, महाराष्ट्र

मित्रों त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र में स्थित है। और यह महाराष्ट्र के भी नासिक जिले में स्थित है। त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग ब्रम्हगिरी नामक एक पर्वत पर स्थित है। जहां से गोदावरी नदी शुरू होती है।

त्रिंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, त्रंबकेश्वर नाम इसलिए भी जाना चाहता है क्योंकि यहां पर तीन छोटे-छोटे लिंग हैं जिन्हें ब्रह्मा, विष्णु और शिव के प्रतीक भी माना जाता है। यह मंदिर महाराष्ट्र के नासिक शहर से दूर गौतमी नदी के तट पर है।

9. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग-देवघर, झारखंड

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग झारखंड राज्य के संथाल परगना के पास स्थित है।

यदि हम शिवपुराण की माने तो इसे भगवान शिव के इस पावन धाम को चिता भूमि कहा जाता है।

भगवान वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग को रावण की भक्ति का प्रतीक भी माना जाता है और यह ज्योतिर्लिंग अपने भक्तों की कामनाओं को पूरा करने और उन्हें रोग मुक्त बनाने के लिए प्रसिद्ध है।

10. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग-द्वारका, गुजरात

मित्रों नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात में स्थित है। और गुजरात के भी यह बड़ौदा क्षेत्र के गोमती द्वारका के निकट स्थित है। मित्रों यह द्वारकापुरी से तकरीबन 17 किमी दूर है। नागेश्वर ज्योतिर्लिंग में भगवान शिव की 80 फीट ऊंची एक मूर्ति है। और इसमें इसके निर्माण में दारूका नाम और उसके पति दारुक की कथा सुनाई जाती है।

इसके लिए एक की संस्कृत में श्लोक भी कहा गया है कि- “वैद्यनाथन चिताभूमें नागेशं दारुकावने”

11. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग-कन्याकुमारी, तमिलनाडु

रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रमनाथम में स्थित है। रामसेतु भी वही स्थित है।

मित्रों रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग रामायण के समय काल तक का पुराना माना जाता है। यह भी माना जाता है कि आज के समय जो रामेश्वरम मंदिर में 24 पानी के कुए हैं वह खुद भगवान श्रीराम ने अपने तीरों से बनाए थे ताकि वे अपने वानर सेना की प्यास बुझा सके।

रामेश्वरम मंदिर के पास ही भगवान राम और विभीषण की पहली बार मुलाकात हुई थी।

और ऐसा भी माना जाता है कि रावण को मारने के लिए जो ब्रह्म हत्या का पाप भगवान राम को लगा था उसके दोषी से मुक्त होने के लिए भगवान राम ने यही भगवान शिव की आराधना करी थी।

12. घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग-औरंगाबाद, महाराष्ट्र

घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के संभाजी नगर के पास में दौलताबाद के स्थान पर स्थित है। इससे भगवान शिवालय भी कहा जाता है क्योंकि यह अंतिम और बाहरवा ज्योतिर्लिंग है।

यह ज्योतिर्लिंग घुश्मा के मृत पुत्र को जीवित करने के लिए भगवान शिव के समर्पण में बनाया गया है। और तभी से यह घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

विशेषताएं

रुद्राक्ष मंत्रसिद्धि हेतु आवश्यक गुण एवं शक्ति अनुसार उचित ज्योतिर्लिंग का चयन कर उसका अभिषेक करें, उदा. महांकाल तामसी शक्ति से युक्त हैं (सभी ज्योतिर्लिंगों में एकमात्र दक्षिणामुखी ज्योतिर्लिंग उज्जैन के महांकाल को ही माना जाता है । तांत्रिक उपासना में इसका महत्त्व अधिक है; परंतु इसकी अरघा का स्रोत पूर्व दिशा की ओर है ।), नागनाथ हरिहरस्वरूप हैं तथा सत्त्व एवं तमोगुणप्रधान हैं, त्र्यंबकेश्वर त्रिगुणात्मक (अवधूत) हैं तथा सोमनाथ रोगमुक्ति हेतु उचित हैं ।

ज्योतिर्लिंग का अर्थ

अ. व्यापक ब्रह्मात्मलिंग अथवा व्यापक प्रकाश

आ. तैत्तिरीय उपनिषद् में ब्रह्म, माया, जीव, मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार एवं पंचमहाभूत, इन बारह तत्त्वों को बारह ज्योतिर्लिंग माना गया है ।

इ. शिवलिंग के बारह खंड

ई. अरघा यज्ञवेदी का दर्शक है एवं लिंग यज्ञप्रतीक ज्योति का अर्थात यज्ञशिखा का द्योतक है ।

उ. द्वादश आदित्यों के प्रतीक

ऊ. प्रसुप्त ज्वालामुखियों के उद्भेदस्थान

दक्षिण दिशा के स्वामी यमराज शिवजी के आधिपत्य में हैं, इसलिए दक्षिण दिशा शिवजी की ही हुई । अरघा का स्रोत दक्षिण की ओर हो, तो वह ज्योतिर्लिंग दक्षिणाभिमुखी होता है एवं ऐसी पिंडी अधिक शक्तिशाली होती है । (पाठभेद – उज्जैन स्थित ज्योतिर्लिंग का श्रृंगार करते समय शिवलिंग पर शिवजी का मुख दक्षिण दिशा की ओर दिखाया जाता है ।) स्रोत यदि उत्तर की ओर हो, तो पिंडी अल्प शक्तिशाली होती है । अधिकांश मंदिर दक्षिणाभिमुखी नहीं होते ।

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