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]]>ज्योतिष में चांदी को चंद्रमा और शांति का प्रतीक माना जाता है। यह धातु न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से बल्कि स्वास्थ्य और मानसिक संतुलन के लिए भी बहुत लाभकारी मानी जाती है। बच्चों और बड़ों के लिए चांदी पहनने के फायदे:
इस विषय को आप अपने वीडियो में सरल भाषा और कुछ रोचक कहानियों या ज्योतिषीय उपायों के साथ प्रस्तुत कर सकते हैं। साथ ही, यह भी समझाएं कि किस राशि के लोग चांदी पहनने से विशेष लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
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मनोजवं मारुततुल्यवेगं, जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं, श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥
इस मंत्र का जाप करने से बजरंगबली प्रसन्न होते हैं। अपने भक्तों को सुख एवं समृद्धि प्रदान करते हैं। साथ ही अपने भक्तों की मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं और दुखों को दूर करते हैं।
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ओम हं हनुमते नम:
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हनुमान जी के इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को कोर्ट से जुड़े मामलों में लाभ मिलता है। कहा जाता है कि इस मंत्र के प्रभाव से फैसला आपके पक्ष में आ सकता है या फिर आपको कोर्ट की तरफ से कोई राहत मिल सकती है।
ओम नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।
भगवान हनुमान के मंत्र का जाप करने से शत्रु पर विजय प्राप्त होती है। साथ ही रोगों को दूर करने और संकटों से रक्षा के लिए भी इस मंत्र का जाप किया जाता है।
ओम हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट
शत्रु और उनसे उत्पन्न संकटों को दूर करने के लिए हनुमान जी के इस मंत्र का जाप किया जाता है। इससे जल्द ही शस्त्रु बाधा से मुक्ति मिलती है।
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ओम नमो भगवते हनुमते नम:
यदि आपके घर-परिवार में हमेशा क्लेश रहता है। बात-बात लड़ाई झगड़े होते रहते हैं तो ऐसे में आपको हनुमान जी के इस मंत्र का जाप करना चाहिए। इस मंत्र के प्रभाव से लोगों के जीवन में सुख एवं शांति आ सकती है।
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]]>नींबू का आपकी किस्मत से है बहुत बड़ा सम्बंध
नींबू का उपयोग कई चीजों में होता है, जैसे खाने में स्वाद के लिए, सफाई के लिए, सौंदर्य के लिए और पूजन आदि में भी नींबू का उपयोग किया जाता है। इतने फायदों के साथ नींबू आपकी किस्मत को भी चमका सकता है। जी हां, नींबू के इन उपायों को आजमाकर आप न केवल अमीर बन सकते हैं बल्कि अपना भाग्य भी जगा सकता है। नींबू के टोटके बुरी नजर, बुरी आत्माओं, भूत प्रेत आदि बाधाओं को भी दूर रखने में बेहद कारगर होते हैं। यही कारण है कि लोग इसे घर,दुकान आदि में टांगते हैं।
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नींबू का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभकारी होता है. नींबू का सेवन इम्यूनिटी बढ़ाने में और वजन घटाने में मददगार साबित होता है. हालांकि नींबू को सिर्फ स्वास्थ्य के लिए ही नहीं बल्कि ज्योतिषीय उपाय (Nimbu Ke Upay) के लिए भी इस्तेमाल किया जाता हैं. नींबू का तांत्रिक कार्यों को सफल करने के लिए प्रयोग किया जाता है. आज हम आपको नींबू के कुछ ऐसे ही टोटके (Nimbu Ke Upay) बताने वाले है जो व्यक्ति को मालामाल बना सकते हैं. तो चलिए ज्योतिष और वास्तु के अनुसार नींबू के चमत्कारिक टोटकों (Nimbu Ke Totke) के बारे में जानते हैं.
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नींबू के उपाय (Nimbu Ke Upay)
बूरी नजर से बचने के लिए
किसी भी व्यक्ति को नजर लग जाने पर नींबू की मदद से नजर को उतार सकते हैं. इसके लिए जिस व्यक्ति को नजर लगी है उसके ऊपर से सात बार नींबू को घूमाना या उतारना है. यह करने के नींबू के चार टुकड़े करें और सुनसान स्थान पर फेंक दें. ऐसा करने के बाग भूलकर भी पीछे मुड़कर न देखें.
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व्यापार में वृद्धि के लिए
यदि आपको कड़ी मेहनत के बाद भी सफलता नहीं मिल रही है तो आपको एक नींबू को अपने ऑफिस या दुकान की चारों दीवारों से स्पर्श करना है. ऐसा करने के बाद इस नींबू के 4 टूकड़े करके चौराहे पर चारों दिशाओं में फेंक दें. ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा चली जाएगी और व्यापार व नौकरी में तरक्की होगी.
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नौकरी में सफलता के लिए
नौकरी में सफलता के लिए और जिन लोगों को नौकरी नहीं मिल रही है उन्हें इस उपाय को करना चाहिए. आपको एक नींबू और चार लौंग के फूल लेने हैं. इसके बाद हनुमान मंदिर में जाकर नींबू में इन लौंग को गाड़ दें. इसके बाद हनुमान चालीसा का पाठ करें और 108 बार “श्री हनुमते नम:” मंत्र का जाप करें. इस उपाय को करने से नौकरी में सफलता मिलेगी. बेरोजगार लोग इस उपाय को करने के बाद इंटरव्यू के लिए जाए तो सफलता मिलेगी.
किस्मत चमकाने के लिए
अगर आप अपना किस्मत चमकाना चाहते हैं तो एक नींबू लेकर अपने सिर के ऊपर से सात बार उतारें। इसके बाद इस नींबू को दो भागों को में काटकर दोनों हाथों में एक-एक टुकड़ा लेकर किसी सुनसान जगह पर बाएं हाथ का टुकड़ा दाएं ओर फेंक दें और दाएं हाथ का टुकड़ा बाएं फेंक कर। इसके बाद सीधे घर चले आएं। ऐसा करने से आपक सोया हुआ भाग्य
जाग जाएगा।
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समृद्धि के द्वार खोलने के लिए
समृद्धि के द्वार खोलने के लिए नींबू का यह चमत्कारिक टोटका आपके लिए काफी फायदेमंद होगा। आप सबसे पहले चौराहे पर जाकर नींबू से सात बार अपने ऊपर वार लें और फिर उसके काटकर दो भाग कर दें। नींबू के कटे हुए पहले भाग को पीछें की तरफ फेंक दें और दूसरे भाग को आगे की तरफ फेंक दें और फिर अपने घर आ जाएं। ऐसा करने से घर में सुख-शांति के अलावा समृद्धि का वास होगा।
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]]>Gangajal Tips: हिंदू धर्म में गंगा जल के बगैर किसी भी देवी-देवता की पूजा या फिर धार्मिक-मांगलिक कार्य अधूरा माना गया है. मान्यता है कि गंगा के पावन जल में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप दूर होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है. यही कारण है कि तमाम तीज-त्योहारों पर बड़ी संख्या में लोग गंगा तट पर स्नान-दान आदि के लिए पहुंचते हैं ओर उसे किसी पात्र में रखकर अपने घर में लाते हैं, लेकिन ऐसा करने से पहले आपको यह जरूर पता होना चाहिए कि गंगाजल को किस पात्र में रखना और कहां रखना चाहिए? आइए गंगा जल से जुड़े जरूरी नियम और उपाय जानते हैं.
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Rule Related to Gangajal : हिंदू सनातन धर्म में गंगा को केवल नदी नहीं बल्कि मां का दर्जा दिया गया है और इसलिए पूजा पाठ (Puja rules)और मांगलिक कार्यों में गंगाजल प्रयोग में लाया जाता है. हर साल तीर्थ के लिए जाते वक्त लोग गंगाजल भरकर ले आते हैं और पूरे साल पूजा अर्चना में, घर की शुद्धि के लिए इसका प्रयोग होता रहता है. गंगाजल इतना पवित्र है कि घर में इसकी मौजूदगी ही वातावरण को सकारात्मक बना देती है, इसलिए वास्तु शास्त्र (vastu tips) में गंगा जल को लेकर कुछ नियम बनाए गए हैं और खासकर गंगा जल को रखने की दिशा संबंधी नियम जरूर मानने चाहिए. चलिए जानते हैं कि वास्तु सम्मत नजरिए से गंगा जल को घर में किस स्थान पर और किस तरह रखना सही होता है.
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]]>तुलसी, एक चमत्कारिक पौधा है जो पारंपरिक उपचारों का एक प्रमुख आधार रहा है, महत्वपूर्ण औषधीय और उपचारात्मक क्षमताओं के साथ भारत के सबसे प्रसिद्ध मसालों और जड़ी-बूटियों में से एक है। तुलसी, जिसे पवित्र तुलसी के रूप में भी जाना जाता है, एक आकर्षक भारतीय पौधा है जिसे किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। एक मजबूत चिकित्सा जड़ी-बूटी के लिए धार्मिक विरासत का एक अभिन्न अंग बनकर, पौधा लंबे समय से हमारे प्रतिदिन के जीवन जीवन का अभिन्न अंग रहा है।
तुलसी, साथ ही इसके अर्क का इस्तेमाल यूनानी से लेकर आयुर्वेद से लेकर आधुनिक दवाई तक उपचार और इम्यून-बूस्टिंगने वाली दवाओं को बनाने में एक सक्रिय एलीमेंट/तत्व के रूप में किया गया है, लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि तुलसी के विभिन्न प्रकार हैं, और न केवल हैं वे इम्यूनिटी के लिए सर्वोत्तम हैं, लेकिन वे स्वाभाविक रूप से वजन मैनेजमेंट में भी सहायता करते हैं।
लगभग 100 अलग-अलग किस्में हैं, लेकिन ये चार शायद सबसे प्रसिद्ध और व्यापक रूप से लगाने/बोने वाले हैं:
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रामा तुलसी, जिसे ब्राइट तुलसी के नाम से भी जाना जाता है, एक व्यापक पत्ती प्रकार है जो भारत, चीन, दक्षिण अमेरिका और नेपाल में ग्रो होती हैं।
अन्य पवित्र तुलसी की तुलना में इसका स्वाद हल्का होता है लेकिन पत्तियों को कुचलने के बाद इसकी महक ज्यादा होती है और माना जाता है कि यह अच्छे पाचन को प्रमोट करती है।
बैंगनी पत्ती वाली तुलसी, जिसे कृष्णा तुलसी के नाम से भी जाना जाता है, हरी तुलसी की तुलना में कम होती है। यह सांस से सम्बन्धित समस्याओं, कान की बीमारियों और त्वचा की समस्याओं के लिए बहुत अच्छा है।
यह अन्य किस्मों की तुलना में ज्यादा धीरे-धीरे बढ़ता है; यह इसके मसालेदार, तीखे स्वाद और बदबू के लिए जिम्मेदार हो सकता है। बैंगनी पत्ती वाली तुलसी का हल्का स्वाद होता है और यह तुलसी की अन्य किस्मों की तुलना में कम कड़वी होती है।
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वन तुलसी का पता लगाना सबसे चुनौतीपूर्ण प्रकार है, जिसे जंगली वन पवित्र तुलसी के रूप में भी जाना जाता है। यह हिमालय की तलहटी में पनपती है और सभी पवित्र तुलसी किस्मों में से एक बेहतरीन और स्वास्थ्यप्रद है। ऊपरी पत्ती चमकीले हरे रंग की होती हैं, जबकि निचली पत्ती गहरे हरे रंग की होती हैं।
कपूर तुलसी इलाज के फायदों से भरपूर है, और इसकी महहकदार सुगंध मच्छरों और कीड़ों को दूर भगा सकती है। इसके अलावा, तुलसी की इस किस्म का इस्तेमाल जानलेवा बीमारियों के इलाज के लिए किया गया है।
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आप इन दो तुलसी प्रकारों में से कोई भी घर पर उगा सकते हैं- रामा तुलसी या श्यामा तुलसी। रामा और श्यामा तुलसी दोनों पौधों के इलाज के गुण सर्वविदित हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार, पवित्र तुलसी या हरी तुलसी का पौधा सबसे व्यापक रूप से पहुँच में रहने वाला तुलसी का पौधा है और इसे अनुकूल माना जाता है। भारत में तुलसी का पौधा कई प्रकार की किस्मों में आता है।
‘श्री तुलसी’, जिसे अक्सर ‘उज्ज्वल तुलसी’, ‘राम तुलसी’, या ‘भाग्यशाली तुलसी’ कहा जाता है, हरी पत्तियों वाली तुलसी है। राम तुलसी (ओसीमम गर्भगृह) का इस्तेमाल धार्मिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है और यह अपनी औषधीय पावर के लिए प्रसिद्ध है। इस किस्म की तुलसी की पत्तियों में तुलसी की अन्य किस्मों की तुलना में मीठा स्वाद होता है।
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श्यामा तुलसी, जिसे ‘डार्क तुलसी’ या ‘कृष्णा तुलसी’ के नाम से भी जाना जाता है, गहरे हरे/बैंगनी पत्तीऔर बैंगनी तने वाली एक किस्म है। यह भगवान कृष्ण से जुड़ी हुई है क्योंकि इसका बैंगनी रंग भगवान कृष्ण की काली त्वचा के समान है। श्यामा तुलसी (Ocimumtenuiflorum) खास इलाज गुणों के साथ एक तुलसी भिन्नता है जैसे कि गले के संक्रमण, त्वचा की बीमारियों, कान में दर्द, नाक की चोटों और सांस से सम्बन्धित समस्याओं का इलाज।
उपरोक्त वेरायटियों के अलावा, वन तुलसी, जिसे जंगली तुलसी के रूप में भी जाना जाता है, और कपूर तुलसी दो और भारतीय वेरायटी हैं जिन्हें घर पर उगाया जा सकता है।
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घर के मंदिर में क्यों नहीं रखना चाहिए माचिस
घर में बना मंदिर घर का सबसे पवित्र स्थान होता है यहां पर माचिस रखना घर में नकारात्मकता लाता है और अपशगुन का कारण बनता है. घर के मंदिर में देवी-देवताओं की मूर्ति-तस्वीरें रखी जाती हैं, उनकी पूजा की जाती है इसलिए यहां पर हमेशा पवित्र और सकारात्मकता लाने वाली चीजें ही रखनी चाहिए. वरना देवी-देवता नाराज होकर दंड दे सकते हैं. यदि मंदिर के आसपास माचिस रखनी ही है तो उसे अलमारी या दराज में रखें. माचिस को खुले में न रखें. इसके अलावा दीप-धूप के समय माचिस इस्तेमाल करने के बाद तीलियों को वहीं आसपास न फेंकें. ये तीलियां नकारात्मक ऊर्जा आकर्षित करती हैं और कई तरह से नुकसान का कारण बनती हैं. माना जाता है कि घर के मंदिर में माचिस या लाइटर जैसा ज्वलनशील सामान रखने से पूजा का फल नहीं मिलता है.
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हमेशा अपने पूजा घर को साफ रखना चाहिए. घर के पूजा घर में बिखरी हुई जली हुई माचिस की तीली नही रखनी चाहिए. जैसे ही आप दीपक जलाते हैं. माचिस की तीली डस्टबिन में डाल दीजिए. मंदिर के आसपास कही पर भी नहीं फेंके!
पूजा घर में अगर मुरझाये हुए फुल है तो हटा देने चाहिए. मुरझाए हुए फुल घर में नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करते है. घर का मंदिर जितना साफ रखोगे उतनी ही सकारात्मक ऊर्जा घर में बनी रहेगी. और हमारे देवी-देवता प्रसन्न होकर सभी हमारी सभी समस्या का निवारण करेंगे
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इन चीजों को भी हटा दें मंदिर से
– घर के मंदिर में कभी भी मुरझाए हुए फूल ना रखें. ऐसा करना आर्थिक तरक्की और करियर में सफलता को रोकता है. कई तरह की रुकावटें पैदा करता है.
– मंदिर में देवी-देवताओं की खंडित मूर्ति या तस्वीरें रखना जीवन में बड़ी विपत्ति ला सकता है. घर में कलह, धन हानि, बीमारी का कारण बनता है.
– एक ही देवी-देवता की एक से ज्यादा मूर्तियां रखना घर में बड़ा वास्तु दोष पैदा करता है. ना ही पूजा घर में पूर्वजों की तस्वीर रखें. इनका स्थान अलग होन चाहिए.
– धूप बत्ती, अगरबत्ती की राख मंदिर में न रखें. ना ही दीपक की जली हुई बाती रखें.
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अगर देखा जाए तो भगवान के दीपक के लौ का रंग, भगवान को चढ़ाए जाने वाले पुष्प का रंग, पूजा के समय धारण करने वाले वस्त्र का रंग यह सभी वस्तु पिली होती हैं. प्राचीन ग्रंथो के अनुसार माना जाए तो भगवान का प्रिय रंग पिला हैं.
इसलिए घर के मंदिर में सात्विक भरे वातावरण के लिए शुभ फल की प्राप्ति के लिए पीले रंग का बल्ब लगाना चाहिए.
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]]>Maha Shivratri 2023: फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है। महाशिवरात्रि का महत्व बहुत अधिक माना जाता है, क्योंकि शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था। इस दिन सभी शिव भक्त व्रत रखते हैं और भोलेनाथ की उपासना करते हैं व अभिषेक कर विधि-विधान से पूजा करते हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार, साल 2023 में महाशिवरात्रि का पर्व 18 फरवरी, शनिवार के दिन मनाया जाएगा। आइए जानते हैं शिवरात्रि के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि-
महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त
फाल्गुन मास की चतुर्दशी तिथि, 17 फरवरी की रात 8 बजकर 2 मिनट से शुरू होगी और 18 फरवरी की शाम 4 बजकर 18 मिनट तक रहेगी।
निशीथ काल पूजा मुहूर्त – 19 फरवरी को तड़के 12 बजकर 16 मिनट से 1 बजकर 6 मिनट तक
महाशिवरात्रि पारण मुहूर्त – 19 फरवरी को सुबह 6 बजकर 57 मिनट से दोपहर 3 बजकर 33 मिनट तक
महाशिवरात्रि पर बन रहा बेहद दुर्लभ संयोग
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार महाशिवरात्रि शनिवार के दिन पड़ रही है। जो कि बहुत ही शुभ मानी जा रही है। पंडित जी ने बताया कि महाशिवरात्रि पर पुत्र प्राप्ति का दुर्लभ संयोग बन रहा है। क्योंकि महाशिवरात्रि के साथ ही शनि प्रदोष भी पड़ रहा है और शनि प्रदोष व्रत विशेषकर पुत्र प्राप्ति के लिए किया जाता है। वहीं मान्यताओं के अनुसार शनि प्रदोष व्रत रखने से भोलेनाथ प्रसन्न होकर पुत्र प्राप्ति का वरदान देते हैं।
महाशिवरात्रि पूजा विधि
– महाशिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। इसके बाद साफ कपड़े पहनकर भगवान के सामने हाथ जोड़कर महाशिवरात्रि व्रत का संकल्प लें।
– बेलपत्र, फूल, दीप और अक्षत से भगवान शिव की पूजा करें। फिर उन्हें फल और मिठाई का भोग लगाएं।
– शिवलिंग में चंदन के लेप लगाकर पंचामृत से स्नान कराना चाहिए। इसके बाद ‘ऊँ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करना चाहिए।
– शिव पूजा के बाद गोबर के उपलों की अग्नि जलाकर तिल, चावल और घी की मिश्रित आहुति देनी चाहिए।
– इसके बाद आखिरी में व्यक्ति व्रत को पूरा करने के बाद ब्राह्मणों को खाना खिलाकर और दीपदान करें।
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]]>2023 Mein Mahashivratri Kab Hai: सनातन धर्म में महाशिवरात्रि का बहुत महत्व है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष आराधना की जाती है. महाशिवरात्रि फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है. इस साल महाशिवरात्रि 18 फरवरी 2023 को पड़ रही है. इस दिन जीवन में सुख-समृद्धि, सौभाग्य पाने और जल्द विवाह कराने के उपाय किए जाते हैं. इससे जीवन के सारे दुख-कष्ट दूर होते हैं.
महाशिवरात्रि 2023 मुहूर्त
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार साल 2023 में महाशिवरात्रि 18 फरवरी 2023 को है. फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 17 फरवरी की रात 8 बजकर 2 मिनट से शुरू होकर 18 फरवरी की शाम 4 बजकर 18 मिनट तक रहेगी. उदयातिथि के अनुसार 18 फरवरी को महाशिवरात्रि मनाई जाएगी. इसमें निशीथ काल पूजा मुहूर्त 18 और 19 फरवरी की मध्यरात्रि 12 बजकर 16 मिनट से 1 बजकर 6 मिनट तक रहेगा. वहीं महाशिवरात्रि व्रत का पारण मुहूर्त 19 फरवरी की सुबह 6 बजकर 57 मिनट से दोपहर 3 बजकर 33 मिनट तक रहेगा.
महाशिवरात्रि 2023 पूजा विधि
महाशिवरात्र के दिन पूरे भक्ति भाव से की गई प्रार्थना जरूर स्वीकार होती है. इसलिए इस दिन भगवान भोलेनाथ की विधि-विधान से पूजा-अर्चना जरूर करनी चाहिए. साथ ही महाशिवरात्रि व्रत भी जरूर रखना चाहिए. इसके लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनकर भगवान के सामने हाथ जोड़कर महाशिवरात्रि व्रत का संकल्प लें. इसके बाद शिव मंदिर जाकर शिवलिंग का अभिषेक करें, पूजा-अर्चना करें. यदि घर पर पूजा कर रहे हैं तो शुभ मुहूर्त में विधि-विधान से पूजा करें. इसके लिए पूजा स्थल की सफाई करें. गंगाजल से उस जगह को पवित्र करें. शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करें. बेलपत्र, फूल, दीप और अक्षत से भगवान शिव की पूजा करें. फल और मिठाई का भोग लगाएं. शिव चालीसा पढ़े. पूजा के बाद प्रसाद का वितरण करें.
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कुछ लोगों के घर में बेर का पेड़ लगा होता है क्योंकि बेर का फल खाने में बहुत स्वादिष्ट होता है, इसलिए लोग इसे लगा रहने देते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि घर में बेरी पेड़ लगा होना आपके जीवन में परेशानियां लेकर आता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में कांटेदार पेड़ पौधे नहीं लगाने चाहिए और बेर के पेड़ में कांटे लगे होते हैं। इस कारण यह पेड़ नकारात्मक प्रभाव देता है। यह पेड़ लगाने से घर में आर्थिक तंगी आती है।
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वास्तु के अनुसार इमली का पेड़ नकारात्मक प्रभाव छोड़ने वाला होता है। इसलिए घर के अंदर भूलकर भी इमली का पेड़ नहीं लगाना चाहिए। इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। घर में इमली का पेड़ लगा होने से घर में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। माना जाता है कि इमली का पेड़ लगा होने से नकारात्मक शक्तियों और बुरी नजर लगने का डर रहता है।
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वैसे तो घर में लोग पीपल का पेड़ नहीं लगाते हैं, लेकिन कई बार बारिश के मौसम में घर में पीपल का पेड़ उग जाता है, जिसे कई बार लोग लगा रहने देते हैं लेकिन यह सही नहीं रहता है। वास्तु शास्त्र कहता है कि पीपल के पेड़ को घर में भूलकर भी नहीं लगाना चाहिए। इससे आपको धन हानि होती है। यदि आपके घर में पीपल का पेड़ उग गया है तो उसे काटना नहीं चाहिए बल्कि इसे ले जाकर मंदिर में या फिर किसी पवित्र स्थान पर लगा देना चाहिए।
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कुछ लोगों के घर में मदार का पौधा लगा होता है लेकिन वास्तु के अनुसार इसे घर में नहीं लगाना चाहिए क्योंकि वास्तु में ऐसा माना जाता है कि जिन पौधों से दूध जैसा पदार्थ निकलता है वे पौधे नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाते हैं।
कुछ लोग अपने घर में सजावटी पेड़ के रूप में खजूर का पेड़ लगा लेते हैं लेकिन खजूर के पेड़ कभी को घर के अंदर नहीं लगाना चाहिए। माना जाता है कि इसको घर में लगाने से आर्थिक तंगी होने लगती है साथ ही परिवार के सदस्यों की तरक्की भी रुक जाती है।
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]]>पीपल, बरगद, नीम, शमी और बांस के पेड़ बहुत अच्छे होते हैं। लेकिन उन्हें घर के द्वार के ठीक सामने नहीं लगाया जा सकता। वास्तुशास्त्र में वृक्षवेध के बारे में भी उल्लेख मिलता है। उक्त पेड़ों को लगाना चाहिए लेकिन किस दिशा में यह जरूर जानें।
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1. घर की पूर्व दिशा की ओर पीपल और बरगद के वृक्ष लगाने शुभ नहीं होते। इनसे स्वास्थ्य हानि, प्रतिष्ठा में कमी एवं अपकीर्ति के संकेत मिलते हैं।
2. जिन पेड़ों से गोंद निकलता हो अर्थात चीड़ आदि घर के परिसर में नहीं लगाने चाहिए। यह धनहानि की आशंका को बढ़ाता है।
3. बैर, पाकड़, बबूल, गूलर आदि कांटेदार पेड़ घर में दुश्मनी पैदा करते हैं। इनमें जति और गुलाब अपवाद हैं। घर में कैक्टस के पौधे नहीं लगाएं।
4. पाकड़, गूलर, आम, नीम, बहेड़ा तथा कांटेदार वृक्ष, पीपल, अगस्त, इमली ये सभी घर के समीप निंदित कहे गए हैं। घर की छाया से थोड़ी दूर पर पीपल, आम और नीम लगा सकते हैं।
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5. दक्षिण पूर्व दिशा अर्थात आग्नेय कोण की ओर पलाश, जवाकुसुम, बरगद, लाल गुलाब अशुभ एवं कष्टदायक होते हैं। इस दिशा में लाल फूलों के वृक्षों व लताएं तथा कांटे वाले वृक्ष अनिष्टकारक एवं मृत्युकारक माने गए हैं।
6. आवासीय परिसर में दूध वाले वृक्ष लगाने से धनहानि होती है।
7. पूर्व में लगे फलदार वृक्ष से संतति की हानि, पश्चिम में लगे कांटेदार वृक्ष से शत्रु का भय, दक्षिण में दूधवाले वृक्ष लगे होने से धन नाश होता है। ये वृक्ष पीड़ा, कलह, नेत्ररोग तथा शोक प्रदान करते हैं। हालांकि ये वृक्ष घर की किसी भी दिशा में नहीं हों, तो ही अच्छा है।
8. कदम्ब, केला और नींबू जिसके घर में उत्पन्न होता है, उस घर का मालिक कभी विकास नहीं करता। अत: इसकी दिशा का ज्ञान होना जरूरी है।
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9. घर की दक्षिण दिशा में गुलमोहर, पाकड़, कटहल के वृक्ष लगाने से अकारण शत्रुता, अर्थनाश, असंतोष व कलह होने की आशंका रहती है।
10. जामुन और अमरूद को छोड़कर फलदार वृक्ष भवन की सीमा में नहीं होने चाहिए। इससे बच्चों का स्वास्थ्य खराब होता है।
11. कहते हैं कि पूर्व में पीपल, अग्निकोण में दुग्धदार वृक्ष, दक्षिण में पाकड़, निम्ब, नैऋत्य में कदम्ब, पश्चिम में कांटेदार वृक्ष, उत्तर में गूलर, केला, छाई और ईशान में कदली वृक्ष नहीं लगाना चाहिए। किसी वास्तुशास्त्री से सलाह लें।
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