ईंट, भवन निर्माण में इस्तेमाल होने वाली सबसे छोटी और आयताकार इकाई है। जिसका उपयोग सदियो से होता रहा है ईंटों का उपयोग भवन निर्माण के अधिकांश कार्यों के लिए उपयोग किया जाता है।जिन स्थानों पर पत्थर उपलब्ध नहीं होते हैं वहां पर ईंटो का उपयोग आमतौर पर पत्थर के विकल्प के रूप में किया जाता है। लेकिन बढ़ते प्रदूषण और वृक्षों की अंधाधुंध कटाई को देखते हुए फ्लाई ऐश ईंट (Fly ash Brick) का उपयोग भट्ठों पर पकी हुई ईंटों के विकल्प में किया जा रहा है। साथ ही सरकार ने ईंट भट्टो व चिमनीयों को N.O.C. देना बंद कर रही है जिससे प्रदुषण कम किया जा सके।

फ्लाई ऐश ईंट (Fly ash Brick) का रंग सीमेंट के रंग जैसा होता है। क्योंकि इसमें राख जो काले रंग की होती है, पत्‍थर की डस्‍ट जो वो भी काली होती है साथ ही सीमेंट की मात्रा होती है और इसलिए इसे सीमेंट ब्रिक भी कहा जाता है। इसको बनाने के लिए सीमेंट और राख के मिश्रण को उचित दबाव के अनुसार बनाया जाता है।

इस प्रकार की ईंटों को बनाने के लिए कई सारे फार्मूलेशन का प्रयोग किया जाता है साधरणत: 55% फ्लाई-ऐश, 35% पत्‍थर की डस्‍ट या बालू और 10% सीमेंट कुछ फार्मूला में जिप्‍सम और लाइम का भी उपयोग में लिया जाता है। ये आम मिट्टी की ईंटों के समान सभी इमारत निर्माण गतिविधियों में बड़े पैमाने पर उपयोग किए जा सकते हैं, और इसमें मिट्टी की ईंटों के मुकाबले बेहतर गुण होते हैं।

फ्लाई ऐश ईंट (Fly ash Brick) का विकल्प क्यो सही है?

प्राचीन समय से मनुष्य अपने घर-परिवार को सुरक्षित रखने के लिए घरों का निर्माण करता था जिसको बनाने के लिए वनस्पतियों और कच्ची मिट्टी का इस्तेमाल होता था लेकिन समय के साथ मानव समाज में हुए अनेक बदलावों ने घर बनाने की सामग्रीओ का भी आविष्कारक बदलाव हुआ।

मनुष्य मिट्टी के ईंटों के रूप में सांचे में डालकर और उसे भठ्ठो में पकाकर इस्तेमाल करने लगा, समय के साथ साथ ईंटों के आकारों में भी इजाफा हुआ। फिलहाल भारत में ईंटों के आकार भारतीय मानक कोड के अनुसार प्रचलन में है। इस प्रकार की ईंटों का लगभग सभी जगहों पर इस्तेमाल हो रहा है जिनको बनाने के लिए भठ्ठो का इस्तेमाल होता है जिसमें चिमनीयां लगी होती है जिनको चलाने के लिए अर्थात ईंटों को पकाने के लिए वनस्पतियों का भारी मात्रा में काटा जाना तथा चिमनीयो द्वारा प्रदूषण का होना तथा साथ ही खनन जैसी समस्या होना नए विकल्प का आविष्कार के रूप में तलाश शुरू हुईं।

इसी परिप्रेक्ष्य में माननीय उच्चतम न्यायालय ने सन् 2012 में अवैध खनन करने पर प्रतिबन्ध लगा दिया था ।खनन करने पर प्रतिबन्ध से मिट्टी के ईंट के विकल्प की तलाश शुरू हुई और विकल्प के रूप में

फ्लाई ऐश ईंट (Fly ash Brick) सामने आया। जिसको बनाने में कोई धुंआ नहीं निकलता है जिससे प्रदूषण नहीं होता है।

लगभग सभी महानगरों में आजकल फ्लाई ऐश ईंट (Fly ash Brick) का उपयोग मिट्टी के ईंटों की तुलना में ज्यादा प्रयोग किया जा रहा है।

फ्लाई ऐश ईंट (Fly ash Brick) का उपयोग मिट्टी के ईंटों की तुलना में ज्यादा प्रयोग होने का कारण फ्लाई ऐश का किफायती, मजबूत और टिकाऊ होना है।

फ्लाई ऐश (Fly ash Bricks) ईंटों की विशेषताएं और उपयोगिता – 

  • फ्लाई-ऐश ईट से घर बनाने में लागत कम (25% – 30% तक खर्च कम) हो जाता है-
  • पारंपरिक मिट्टी की ईंटों की तुलना में फ्लाई ऐश ईंटें बड़े पैमाने पर अप्रत्यक्ष लाभ प्रदान करती हैं।
  • चुकी यह ईंट सही आकार, बराबर कोने के होते है इसीलिए इससे फिनिशिंग दीवार के दोनों तरफ आती है जिससे Plaster में भी सीमेंट की बचत होती है।
  • यह ईंट कम पानी सोखती इसलिए घर के दीवाल में रिसाव (Seepage) नहीं होता, पेंट ख़राब नहीं होता और वाल पुट्टी नहीं झरती।
  • ढुलाई के दौरान मिट्टी की ईंट की तुलना में फ्लाई-ऐश ईट की क्षति कम होती है. इससे और लागत घटती है।
  • इस ईंट से बनी दीवाल बिना प्लास्टर के भी खूबसूरत दिखती है, इसलिए आप प्लास्टर किए बिना भी इस पर रंग करवा सकते हैं।
  • चुकी यह ईंट ताप-रोधी होता है इसलिए इससे बने घर में गर्मी कम लगती है।
  • पर्यावरण के लिए फ्लाई ऐश ईंटों के लाभ (Benefits of Fly Ash Bricks for Environment) –
  • फ्लाई ऐश ईंटों के उपयोग से प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के साथ-साथ पर्यावरण का संरक्षण भी होता है।
  • Fly ash bricks पर्यावरण के अनुकूल हैं क्योंकि यह पर्यावरण की रक्षा करता है।

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