iit jee mains and iit jee advance

आज हम जानेंगे JEE Mains & JEE Advanced Differences – जेईई मेन और जेईई एडवांस में क्या अंतर है? जानें IIT, NIT एंट्रेंस एग्जाम का फर्क क्‍या है इस पोस्‍ट को पूरा पडें आपको सारे सवालो के जबाब मिल जायेंगे

JEE Main क्या है और JEE Advance क्या होता है

JEE Mains और JEE Advanced में क्या अंतर है? ये परीक्षाएं IIT, NIT जैसे संस्थानों में एडमिशन के लिए ली जाती हैं. तैयारी करनी है तो जान लीजिए दोनों में क्या फर्क है. प्रीमियर इंजीनियरिंग कॉलेजों में पढ़ने के लिए ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जाम JEE क्रैक करना जरूरी है. इस एग्जाम को जेईई मेन और जेईई एडवांस्ड में बांटा गया है. JEE Advanced में बैठने के लिए स्टूडेंट्स को पहले जेईई मेन्स क्वालिफाई करना होता है. JEE Mains में अच्छी रैंक के बाद आप एनआईटी समेत अन्य प्रतिष्ठित कॉलेजों में एडमिशन ले सकते हैं. जबकि IIT के लिए जेईई एडवांस्ड पास करना जरूरी है. हालांकि जेईई मेन और एडवांस्ड एक-दूसरे से जुड़े हैं, फिर भी अलग हैं. अक्सर छात्र इन दोनों के बीच कंफ्यूज हो जाते हैं.

JEE Main & JEE Advance क्या हैं पूरी जानकारी इन हिंदी में

इसलिए इस आर्टिकल में एग्जाम पैटर्न, सिलेबस, डिफिकल्टी लेवल के आधार पर जेईई मेन और जेईई एडवांस के बीच फर्क बताया जा रहा है. इंजीनियरिंग में करियर बनाने के लिए स्टूडेंट्स की पहली प्राथमिकता होती है किसी भी इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (IIT) में सीट प्राप्त करना. इसके लिए उन्हें पहले JEE Main एग्जाम में बैठना होता है. मेन में क्वालीफाई करने के बाद जेईई एडवांस क्रैक करना होता है. 12वीं या समकक्ष परीक्षा में उत्तीर्ण या भाग लेने वाले उम्मीदवार जेईई मेन एग्जाम दे सकते हैं.

एग्जाम में बैठने के लिए कोई न्यूनतम प्रतिशत नहीं है. लेकिन आईआईआईटी, एनआईटी और सीएफटीआई में एडमिशन के लिए उम्मीदवारों को 75% अंक (एससी/एसटी के लिए 65%) से 12वीं पास होना चाहिए. जेईई एडवांस्ड एग्जाम में बैठने के लिए पात्रता मानदंड जेईई मेन परीक्षा उत्तीर्ण करना और शीर्ष 2.5 लाख उम्मीदवारों में शामिल होना है.

जेईई मेन और एडवांस्ड में अंतर – Differences between JEE Mains & JEE Advanced

EE MainsJEE Advanced
जेईई मेन एग्जाम एनआईटी (NIT), ट्रिपल आईटी (IIIT) और केंद्र/ राज्य सरकार के इंजीनियरिंग कॉलेजों में एडमिशन के लिए है.जेईई एडवांस्ड आईआईटी (IIT), आईआईईएसटी (IIEST), आरजीआईपीटी (RGIPT) में एडमिशन के लिए है.
जेईई मेन एग्जाम साल में 2 बार आयोजित होता है.जेईई एडवांस का आयोजन साल में सिर्फ एक बार होता है.
जेईई मेन का आयोजन एनटीए यानी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी करती है.जेईई एडवांस का आयोजन आईआईटी ज्वाइंट एडमिशन बोर्ड द्वारा किया जाता है. हर साल परीक्षा संचालन का जिम्मा अलग-अलग आईआईटी को दिया जाता है.
स्टूडेंट्स लगातार तीन साल तक जेईई मेन परीक्षा में शामिल हो सकते हैं.लगातार दो साल तक ही जेईई एडवांस की परीक्षा दे सकते हैं.
जेईई मेन का पेपर 3 घंटे का होता है.जेईई एडवांस्ड पेपर 6 घंटे (पेपर 1 3 घंटे, पेपर 2 3 घंटे) का होता है.
जेईई मेन में चार-चार अंकों के 90 प्रश्न होते हैं. उम्मीदवार को केवल 75 प्रश्नों के उत्तर देने की आवश्यकता होती है.जेईई एडवांस परीक्षा में मार्क्स डिस्ट्रीब्यूशन और प्रश्नों की संख्या तय नहीं है.
जेईई मेन के प्रश्न पत्र अंग्रेजी, हिंदी, गुजराती, असमिया, बंगाली, कन्नड़, मलयालम, मराठी, ओडिया, पंजाबी, तमिल, तेलुगु और उर्दू में होते हैं.जेईई एडवांस का प्रश्न पत्र केवल अंग्रेजी और हिंदी में होता है.

जेईई मेन और एडवांस्ड का सिलेबस लगभग 99% समान है. लेकिन मेन में कुछ ऐसे टॉपिक हैं जो जेईई एडवांस सिलेबस में नहीं है. हालांकि, 2023 से जेईई एडवांस के रिवाइज्ड सिलेबस में कुछ और टॉपिक जोड़े गए हैं. जेईई मेन सिलेबस में पहले से ही ये टॉपिक थे.

डिफिकल्टी लेवल में जेईई मेन और एडवांस्ड में फर्क

जेईई मेन में कठिनाई का स्तर जेईई एडवांस की तुलना में थोड़ा कम है. एडवांस का डिफिकल्टी लेवल अधिक है और यह कॉन्सेप्ट बेस्ड एग्जाम है. देखा जाए तो जेईई मेन में किसी प्रॉब्लम को सॉल्व करने लिए औसतन 2 मिनट मिलते हैं. वहीं जेईई एडवांस्ड में औसतन 3 मिनट मिलते हैं.

मेन्स क्रैक करने के लिए किसी प्रॉब्लम को तेजी से हल करना जरूरी है. जबकि एडवांस क्रैक करने लिए कॉन्सेप्ट क्लीयर होना चाहिए. कुल मिलाकर जेईई मेन्स पास करने के बाद स्टूडेंट्स इंजीनियर बन सकते हैं. लेकिन IITian का टैग हासिल करने के लिए एडवांस्ड क्रैक करना जरूरी है.

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