seven days he kyon hota hai? क्या आप जानते हैं सप्ताह में सात दिन ही क्यों?
हिन्दू कैलेंडर व इंग्लिश कैलेंडर दोनों के अनुसार सप्ताह में सात दिन होते हैं। इंग्लिश कैलेंडर के अनुसार रविवार सप्ताह का आखिरी दिन होता है व हिन्दू कैलेंडर के अनुसार पहला। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि हिन्दू धर्म शास्त्रों व ज्योतिष के अनुसार सप्ताह में सात दिन ही क्यों होते हैं। दरअसल ज्योतिष में ग्रहों की संख्या नौ मानी गई है। जो इस प्रकार हैं शनि, बृहस्पति, मंगल, शुक्र, बुध, चंद्र, सूर्य, राहू और केतु।

इनमें से राहू और केतु को छाया ग्रह माना गया है। इसलिए इनका प्रभाव हमारे जीवन पर छाया के समान ही पड़ता है। इसलिए उस समयज्योतिषाचार्यों ने ग्रहों के आधार पर सप्ताह में सात दिन निर्धारित किए। लेकिन उसके बाद समस्या यह थी कि किस ग्रह का दिन कौन सा माना जाए तो ज्योतिषियों ने होरा के उदित होने के अनुसार दिनों को बांटा।

एक दिन में 24 होरा होती है। हर होरा एक घंटे की होती है। दिन उदित होने के साथ जिस ग्रह की पहली होरा होती है। वह दिन उसी ग्रह का माना जाता है। सोमवार के दिन की शुरूआत चंद्र की होरा के साथ होता है।

इसीलिए उसे सोमवार नाम दिया गया। मंगलवार के दिन पहली होरा मंगल की होती है इसीलिए उसे मंगलवार कहते है। इसी तरह बुध, गुरू, शुक्र, शनि, रवि, की शुरू आत इन्ही ग्रहों के अनुसार होती है इस तरह सात ग्रहों की होरा उदित होने के कारण उस दिन को उस ग्रह का प्रधान मानकर उसका नाम दिया गया। इसीलिए सप्ताह में सात दिन होते हैं।

प्रसाद सीधे हाथ में ही क्यों लेना चाहिए?
मंदिर हो या घर हिन्दू धर्म व संस्कृति के अनुसार भगवान को रोज भोग लगाकर प्रसाद बांटना पूजा का एक आवश्यक अंग माना जाता है। प्रसाद लेते समय हमेशा सीधे हाथ ऊपर रखना चाहिए और उसके नीचे उल्टा हाथ रखना चाहिए। ऐसी मान्यता है उल्टे हाथ में प्रसाद लेना शुभ नहीं माना जाता है। लेकिन अधिकतर लोग इस बात पर ध्यान नहीं देते हैं क्योंकि उनकी सोच यही होती है कि यह एक तरह का अंधविश्वास है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इसका कारण क्या है?

दरअसल हिन्दू धर्म में यह माना जाता है कि हर शुभ काम या अच्छा काम जिससे आप जल्द ही सकारात्मक परिणाम प्राप्त करना चाहते हैं वह काम सीधे हाथ से करना चाहिए। इसीलिए हर धार्मिक कार्य चाहे वह यज्ञ हो या दान-पुण्य सीधे हाथ से ही किया जाना चाहिए । जब हम हवन करते हैं और यज्ञ नारायण भगवान को आहूति दी जाती है तो वो सीधे हाथ से ही दी जाती है। दरअसल सीधे हाथ को सकरात्मक ऊर्जा देने वाला माना जाता है। हमारी परंपरा के अनुसार प्रसाद को भगवान का आर्शीवाद माना जाता है। यही सोचकर हमारे पूर्वजों ने यह मान्यता बनाई कि प्रसाद सीधे हाथ में ही लेना चाहिए।

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