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]]>राजस्थान के सीकर स्थित (Sikar Rajasthan) खाटू श्याम (Khatu Shaym Temple) के मंदिर में हर साल लोगों की काफी भीड़ होती है. कई बार तो श्रद्धालु खाटू श्याम के दर्शन करने के लिए सुबह से शाम तक लाइन में लगते हैं. खाटू श्याम का मंदिर (Khatu Shyam Mandir) आज का नहीं है बल्कि हजारों साल पुराना है. राजस्थान में यह सबसे प्रसिद्ध मंदिर है, यहां दूर दूर से लोग दर्शन करने और निशान चढ़ाने के लिए आते हैं. श्री खाटू श्याम जी का मंदिर भगवान कृष्ण के भक्तों के लिए प्रमुख पूजा स्थल माना जाता है. खाटू श्याम के कई नाम हैं और उनकी महिमा भी बहुत है. आईए जानते हैं इस मंदिर का इतिहास और क्या है खाटू श्याम की महिमा.
भगवान खाटू श्याम को वर्तमान समय (कलियुग) का देवता माना जाता है. खाटू श्याम मंदिर उत्तर भारत के सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक है. मंदिर के मूल संस्थापकों के वंशज ऐतिहासिक रूप से मंदिर की सेवा करते रहे हैं.ऐसा माना जाता है कि श्री खाटू श्याम मंदिर में हर साल लगभग एक लाख श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं.
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खाटू श्याम जी मंदिर का इतिहास क्या है (History of Khatu Shyam Temple Rajesthan)
खाटू श्याम राजस्थान के खाटू शहर में भगवान कृष्ण (Lord Krishna) का एक सदियों पुराना मंदिर है. खाटू श्याम मंदिर भगवान कृष्ण की मूर्ति के लिए जाना जाता है जो उनके सिर के रूप में है, श्याम की मूर्ति का रंग भी सांवरा है और उसका आधा सिर कटा हुआ है. राजस्थान के यह राज्य के सबसे प्रमुख पूजा स्थलों में से एक है. इस बेहद खूबसूरत मंदिर की उपस्थिति के कारण ही शहर की लोकप्रियता बढ़ी है.
खाटू श्याम मंदिर की कहानी महाभारत के सदियों पुराने हिंदू महाकाव्य से आती है. पांडवों में से एक, भीम के परपोते वीर बर्बरीक को भगवान कृष्ण का बहुत बड़ा भक्त माना जाता है. उन्होंने श्रीकृष्ण के प्रति अपने प्रेम के प्रतीक के रूप में अपना सिर बलिदान कर दिया था. इस महान बलिदान से प्रभावित होकर भगवान ने वीर बर्बरीक को आशीर्वाद दिया. वरदान यह था कि कलियुग में श्याम के रूप में उनकी पूजा की जाएगी. बर्बरीक के इस महान बलिदान ने उन्हें “शीश के दानी” का नाम दिया था. श्री खाटू श्याम में श्याम के रूप में पूजे जाने वाले वीर बर्बरीक अपने भक्तों में ‘हारे का सहारा’ के नाम से भी प्रसिद्ध हैं.भगवान कृष्ण के भक्तों का मानना है कि भगवान हमेशा शुद्ध हृदय वाले लोगों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं.
माना जाता है कि मंदिर का निर्माण खाटू श्याम के शासक राजा रूपसिंह चौहान और उनकी पत्नी नर्मदा कंवर ने करवाया था. रूप सिंह का एक सपना था जिसमें उन्हें खाटू के एक कुंड से श्याम शीश निकालकर मंदिर बनाने के लिए कहा गया था. उसी कुंड को बाद में ‘श्यामा कुंड’ के नाम से जाना जाने लगा.
एक मान्यता यह भी है की करीब 1000 साल पहले एकादशी के दिन बाबा का शीश श्यामकुंड में मिला था. यहां पर कुएं के पास एक पीपल का बड़ा पेड़ था. यहां पर आकर गायों का दूध स्वत ही झरने लगता था. गायों के दूध देने से गांव वाले हैरत में थे. गांव वालों ने जब उस जगह खुदाई की तो बाबा श्याम का शीश मिला था. शीश को चौहान वंश की रानी नर्मदा कंवर को सौंप दिया गया, बाद में विक्रम संवत 1084 में इस शीश की स्थापना मंदिर में की गई उस दिन देवउठनी एकादशी थी. भक्त इस पवित्र तालाब में इस विश्वास के साथ पवित्र स्नान करते हैं कि यह स्नान उन्हें सभी रोगों और संक्रमणों से छुटकारा दिलाएगा.
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मंदिर की वर्तमान वास्तुकला दीवान अभयसिंह द्वारा 1720 के आसपास पुनर्निर्मित की गई है. भगवान बर्बरीक, जिन्हें वर्तमान समय (कलियुग) का देवता माना जाता है. यहां भगवान कृष्ण के रूप में उनकी पूजा की जाती है. हिंदू धर्म में जरूरतमंदों के सहायक के रूप में पूजनीय भगवान खाटू श्याम यहां निवास करते हैं और अपने भक्तों की सभी प्रार्थनाओं का उत्तर देने के लिए प्रसिद्ध हैं.
एक मान्यता यह भी है की करीब 1000 साल पहले एकादशी के दिन बाबा का शीश श्यामकुंड में मिला था. यहां पर कुएं के पास एक पीपल का बड़ा पेड़ था. यहां पर आकर गायों का दूध स्वत ही झरने लगता था. गायों के दूध देने से गांव वाले हैरत में थे. गांव वालों ने जब उस जगह खुदाई की तो बाबा श्याम का शीश मिला था. शीश को चौहान वंश की रानी नर्मदा कंवर को सौंप दिया गया, बाद में विक्रम संवत 1084 में इस शीश की स्थापना मंदिर में की गई उस दिन देवउठनी एकादशी थी.भक्त इस पवित्र तालाब में इस विश्वास के साथ पवित्र स्नान करते हैं कि यह स्नान उन्हें सभी रोगों और संक्रमणों से छुटकारा दिलाएगा.
मंदिर की वर्तमान वास्तुकला दीवान अभयसिंह द्वारा 1720 के आसपास पुनर्निर्मित की गई है. भगवान बर्बरीक,जिन्हें वर्तमान समय (कलियुग) का देवता माना जाता है. यहां भगवान कृष्ण के रूप में उनकी पूजा की जाती है. हिंदू धर्म में जरूरतमंदों के सहायक के रूप में पूजनीय भगवान खाटू श्याम यहां निवास करते हैं और अपने भक्तों की सभी प्रार्थनाओं का उत्तर देने के लिए प्रसिद्ध हैं.
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खाटू श्याम की कथा
लाक्षागृह की घटना में प्राण बचाकर वन-वन भटकते पांडवों की मुलाकात हिडिंबा नाम की राक्षसी से हुआ। यह भीम को पति रूप में प्राप्त करना चाहती थी। माता कुंती की आज्ञा से भीम और हिडिंबा का विवाह हुआ जिससे घटोत्कच का जन्म हुआ। घटोत्कच का पुत्र हुआ बर्बरीक जो अपने पिता से भी शक्तिशाली और मायाबी था।
– बर्बरीक देवी का उपासक था। देवी के वरदान से उसे तीन दिव्य बाण प्राप्त हुए थे जो अपने लक्ष्य को भेदकर वापस लौट आते थे। इनकी वजह से बर्बरीक अजेय हो गया था।
-महाभारत के युद्ध के दौरान बर्बरीक युद्ध देखने के इरादे से कुरुक्षेत्र आ रहा था। श्रीकृष्ण जानते थे कि अगर बर्बरीक युद्ध में शामिल हुआ तो परिणाम पाण्डवों के विरुद्ध होगा। बर्बरीक को रोकने के लिए श्री कृष्ण गरीब ब्राह्मण बनकर बर्बरीक के सामने आए। अनजान बनते हुए श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से पूछ कि तुम कौन हो और कुरुक्षेत्र क्यों जा रहे हो। जवाब में बर्बरीक ने बताया कि वह एक दानी योद्धा है जो अपने एक बाण से ही महाभारत युद्ध का निर्णय कर सकता है। श्री कृष्ण ने उसकी परीक्षी लेनी चाही तो उसने एक बाण चलाया जिससे पीपल के पेड़ के सारे पत्तों में छेद हो गया। एक पत्ता श्रीकृष्ण के पैर के नीचे था इसलिए बाण पैर के ऊपर ठहर गया।
– श्रीकृष्ण बर्बरीक की क्षमता से हैरान थे और किसी भी तरह से उसे युद्ध में भाग लेने से रोकना चाहते थे। इसके लिए श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से कहा कि तुम तो बड़े पराक्रमी हो मुझ गरीब को कुछ दान नहीं दोगे। बर्बरीक ने जब दान मांगने के लिए कहा तो श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से उसका शीश मांग लिया। बर्बरीक समझ गया कि यह ब्राह्मण नहीं कोई और है और वास्तविक परिचय देने के लिए कहा। श्रीकृष्ण ने अपना वास्तविक परिचय दिया तो बर्बरीक ने खुशी-खुशी शीश दान देना स्वीकर कर लिया।
-रात भर भजन-पूजन कर फाल्गुन शुक्ल द्वादशी को स्नान पूजा करके, बर्बरीक ने अपने हाथ से अपना शीश श्री कृष्ण को दान कर दिया। शीश दान से पहले बर्बरिक ने श्रीकृष्ण से युद्ध देखने की इच्छा जताई थी इसलिए श्री कृष्ण ने बर्बरीक के कटे शीश को युद्ध अवलोकन के लिए, एक ऊंचे स्थान पर स्थापित कर दिया।
-युद्ध में विजय श्री प्राप्त होने पर पांडव विजय का श्रेय लेने हेतु वाद-विवाद कर रहे थे। तब श्रीकृष्ण ने कहा की इसका निर्णय बर्बरीक का शीश कर सकता है। बर्बरीक के शीश ने बताया कि युद्ध में श्री कृष्ण का सुदर्शन चक्र चल रहा था जिससे कटे हुए वृक्ष की तरह योद्धा रणभूमि में गिर रहे थे। द्रौपदी महाकाली के रूप में रक्त पान कर रही थीं।
-श्री कृष्ण ने प्रसन्न होकर बर्बरीक के उस कटे सिर को वरदान दिया कि कलयुग में तुम मेरे श्याम नाम से पूजित होगे तुम्हारे स्मरण मात्र से ही भक्तों का कल्याण होगा और धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति होगी।
स्वप्न दर्शनोंपरांत बाबा श्याम, खाटू धाम में स्थित श्याम कुण्ड से प्रकट हुए थे। श्री कृष्ण विराट शालिग्राम रूप में सम्वत् 1777 से खाटू श्याम जी के मंदिर में स्थित होकर भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण कर कर रहे हैं।
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हर साल लगता है खाटूश्याम मेला
प्रत्येक वर्ष होली के दौरान खाटू श्यामजी का मेला लगता है। इस मेले में देश-विदेश से भक्तजन बाबा खाटू श्याम जी के दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर में भक्तों की गहरी आस्था है। बाबा श्याम, हारे का सहारा, लखदातार, खाटूश्याम जी, मोर्विनंदन, खाटू का नरेश और शीश का दानी इन सभी नामों से खाटू श्याम को उनके भक्त पुकारते हैं। खाटूश्याम जी मेले का आकर्षण यहां होने वाली मानव सेवा भी है। बड़े से बड़े घराने के लोग आम आदमी की तरह यहां आकर श्रद्धालुओं की सेवा करते हैं। कहा जाता है ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
भक्तों की इस मंदिर में इतनी आस्था है कि वह अपने सुखों का श्रेय उन्हीं को देते हैं। भक्त बताते हैं कि बाबा खाटू श्याम सभी की मुरादें पूरी करते हैं। खाटूधाम में आस लगाने वालों की झोली बाबा खाली नहीं रखते हैं।
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खाटू श्याम कैसे जाएं (Route to reach Khatu Shyam)
खाटूश्याम मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ. इनको खाटू नरेश भी कहते हैं. अगर आप राजस्थान जा रहे हैं तो आपको इनके दर्शन करने चाहिए. लोग दूर दूर से निशान लेकर पैदल आते हैं.
खाटू श्याम जाने का राजस्थान से रूट
यहां ट्रेन, बस दोनों ही जाती है
अगर आप दिल्ली से आ रहे हैं तो पहले झूंझनू आएं और फिर वहां से सीकर 2 घंटे में बस या गाड़ी से जा सकते हैं.
दिल्ली से चुरू या फिर सालासर के लिए बस चलती है, यह रोडवेज बसें भी आपको राजस्थान के बिकानेर या फिर खाटू श्याम ले जाती है
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]]>कई प्रयासों और कोशिशो के बावजूद भी लाइफ की टेंशन खत्म ही नहीं होती। लेकिन क्या आपको पता है कि शारू किताब के कुछ आसान से टोटके आपकी किस्मत चमका सकते हैं। वहीं इसके लिए आपको ज्यादा प्रयास भी करने की जरूरत नहीं है। केवल दिवाली के दिन इनपर अमल करने की जरूरत है। तो देर किस बात की, आइए इनके बारे में विस्तार से जानते हैं
लाल किताब के अनुसार दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन के बाद सभी कमरों में शंख और घंटी जरूर बजाएं। इसके अलावा दीपावली पर दीपक में लौंग डालकर जलाएं। इसके बाद उसी दीपक से हनुमानजी की आरती करें। फिर किसी हनुमान मंदिर में जाकर उस दीपक को रख आएं। मान्यता है कि ऐसा करने जातक और उसके परिवारीजनों पर आने वाले कष्ट टल जाते हैं। सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
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दिवाली के दिन शिव मंदिर में जाएं वहां जाकर शिवलिंग पर चावल चढ़ाएं। ध्यान रखें कि चावल टूटे नहीं होने चाहिए। इसके अलावा दीपावली पर महालक्ष्मी के पूजन में पीली कौड़ियां भी रखें। कौड़ियां पूजन में रखने से महालक्ष्मी बहुत ही जल्द प्रसन्न होती हैं। आपकी धन संबंधी सभी समस्याएं जल्द ही खत्म हो जाएंगी।
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अगर आपकी किस्मत साथ न दे रही हो तो दिवाली के दिन लक्ष्मीजी को चने की कच्ची दाल चढ़ाकर बाद में पीपल वृक्ष में चढ़ा दें। मान्यता है ऐसा करने से भाग्य चमक उठता है। इसके अलावा दीपावली के दिन किसी भी मंदिर में झाड़ू का दान करें। यदि आपके घर के आसपास कहीं महालक्ष्मी का मंदिर हो तो वहां गुलाब की सुगंध वाली अगरबत्ती का दान करें। दिवाली के दिन किसी भी युवा सुहागन स्त्री को घर पर भोजन-मिष्ठान्न करवाकर लाल वस्त्रादि भेंट करें। इससे देवी लक्ष्मी अत्यंत प्रसन्न होती हैं और जातक पर उनकी कृपा बनी रहती है।
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]]>आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरा का पर्व मनाया जाता है, इसी दिन मां दुर्गा ने महिषासुर और भगवान राम ने लंका के राजा रावण का वध किया था, इस वजह से इस दिन को विजयादशमी कहा जाता है। विजयदशमी का पर्व शरद् ऋतु के आगमन का प्रतीक भी माना जाता है। स्कंद पुराण में बताया गया है इस दिन पुण्यसलिला नदियों में स्नान करने से व्यक्ति दस पापों से मुक्त हो जाता है। शास्त्रों में इस दिन का विशेष महत्व बताया है। साथ ही इस दिन सुख-शांति और समृद्धि के लिए कुछ उपाय भी बताए गए हैं। इन उपायों के करने से न केवल जीवन में सुख-शांति आती है बल्कि सभी संकटों से भी मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में
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दशहरा के दिन मां दुर्गा की पूजा करते हुए ‘ओम विजयायै नम:’ मंत्र का जप करते हुए 10 फल चढ़ाएं और फिर उनको प्रसाद में बांट दें। इस पूजा को आप दोपहर के समय करें। माना जाता है कि रावण को परास्त करने के लिए भगवान राम ने भी दोपहर के समय ही पूजा की थी। इसके बाद एक झाड़ू लें और शाम के समय में उसको मंदिर में दान कर दें। इस उपाय के करने से धन संबंधित समस्या खत्म होती है और नौकरी व व्यापार में उन्नति होती है।
दशहरे के दिन रावण दहन से पहले मां दुर्गा की सहायक योगिनीं जया और विजया की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद शमी के पेड़ की पूजा करनी चाहिए। शमी के पेड़ के नीचे दीपक जलाना चाहिए और मां दुर्गा की पूजा में शमी के पत्ते अर्पित करने चाहिए। माना जाता है ऐसा करने से आर्थिक लाभ होता है और कार्यों में आ रही बाधा भी दूर होती है। साथ ही दशहरे के दिन पूजा घर में शमी के पेड़ की मिट्टी रखने से नकारात्मक शक्तियां भी खत्म हो जाती हैं।
दशहरे के दिन रावण दहन के बाद उसकी राख को सरसों के तेल में मिलाकर घर में हर जगह छिड़क देना उत्तम माना जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से घर के सदस्यों के बीच आपसी प्रेम बना रहता है और नकारात्मक ऊर्जा खत्म होकर सकारात्मक ऊर्जा में बदल जाती है। हर संकट से मुक्ति के लिए सुबह के समय हनुमानजी का गुड़-चने का भोग लगाएं और शाम के समय लड्डूओं का भोग लगाएं और फिर हनुमानजी से अपनी रक्षा की प्रार्थना करें।
कारोबार में उन्नति के लिए दशहरे के दिन एक नारियल लें और उसको सवा मीटर पीले कपड़े में लपेट लें। फिर एक जोड़ा जनेऊ, सवा पान और मिष्ठान के साथ राम मंदिर में चढ़ा दें। ऐसा करने से व्यापार में उन्नति होती है। वहीं दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी को देखने से सभी मनोकामना पूरी होती हैं। नीलकंठ को देखकर भगवान शिव से मनोकामना मांगे।
दशहरे के दिन से लगातार 51 दिनों तक हर रोज गाय व कुत्ते को बेसन का लड्डू खिलाए तो यह भी काफी शुभ माना जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से धन संबंधित समस्या दूर हो जाती है। लेकिन ध्यान रहे कि कुत्ते को हर रोज लड्डू खिलाए, भूले नहीं।
दशहरे के दिन अपने हाथ में एक फिटकरी का टुकड़ा लें और उसे लेकर किसी सुनसान जगह पर लेकर चले जाएं। इसके बाद अपने इष्ट देवों का ध्यान करते हुए अपने ऊपर से सात बार उबारकर पीठ के पीछे फेंक दें। फेंकने के बाद बिना मुड़े घर आ जाएं और भगवान के सामने घी का दीपक जलाएं। ध्यान रहे यह उपाय करते समय कोई आपको देखे न। ऐसा करने से भाग्य का पूरा साथ मिलता है और जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है।
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]]>Vashikaran, Vashikaran Totke, Vashikaran Mantra, Vashikaran Remedy, Vashikaran ke upay, Long se Vashikaran, Vashikaran, vashikaran mantra ki prayog vidhi, vashikaran mantra, Vashikaran Totka, Vashikaran Totke, Vashikaran, Ladki ko vash me karne ke upay, remedies for desire girl, totke for girls, ladki vashikaran, ladki ko vash me karne ke totke, girls totke, Vashikaran ke aasan totke, premika ko vash me karne ke totke, premika ko vash me karne ke upay, black magic for girl, वशीकरण, वशीकरण के टोटके, वशीकरण के उपाय
वशीकरण के कुछ उपाय बहुत ही गोपनीय और अति प्रभावशाली हैं। और तंत्र-मंत्र और यंत्र के क्षेत्र में ही वशीकरण के अनेक और अचूक उपाय मौजूद हैं।
Vashikaran : वैसे तो वशीकरण (Vashikaran) के अनेक तरीके प्रचलित हैं, जिनमें से उपाय, मंत्र कुछ सार्वजनिक रूप से हैं और कुछ बहुत ही गोपनीय और अति प्रभावशाली भी हैं। तंत्र-मंत्र और यंत्र के क्षेत्र में ही वशीकरण के अनेक और अचूक व 100 प्रतिशत परिणामिक साधन और उपाय उपलब्ध हैं, लेकिन हर प्रयोग में किसी न किसी विशेष विधि और नियम-कायदों का पालन करना पड़ता है। तो अगर आप भी चाहते हैं किसी भी इंसान का वशीकरण करना, कोई भी वो इंसान हो, लड़की हो, शादीशुदा महिला हो, लड़का हो, कुंवारा हो अथवा कुंवारी कन्या हो आपके इशारों पर चलने लगेगा। तो आइए जानते हैं वशीकरण के इन अचूक उपायों के बारे में।
1. पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में नीबू की एक लकड़ी तोड़कर लायें और धूप देकर उसे अपनी दाहिनी भुजा में बांध लें। ऐसा करने से आप किसी भी इंसान के दिल और दिमाग को आसानी से बदल सकते हैं और किसी भी इंसान का वशीकरण कर सकते हैं।
2. छोटी इलायची, लाल चंदन, सिन्दूर, कंगनी और काकड़सिंघी आदि चीजों को आप इक्ट्ठा कर लें और आप इसकी धूप बना लें। जिस भी व्यक्ति को आप अपने वश में करना चाहते हैं आप उस व्यक्ति के सामने इसकी धूप बनाकर जला दें। तो वह व्यक्ति आपसे वशीभूत होगा।
3. शुक्ल पक्ष के किसी भी रविवार के दिन 11 लौंग शरीर के ऐसे स्थान पर रखें जहां आपको पसीना अधिक आता हो, इसके बाद आप उन्हें सुखाकर चूर्ण बना लें। आप इस चूर्ण को दूध-चाय में डालकर जिस भी व्यक्ति को पिलाएंगे वहीं आपके वश में हो जाएगा।
4. यदि शत्रु परेशान कर रहा है तो भोजपत्र का टुकडा लेकर उस पर लाल चंदन से शत्रु का नाम लिखकर शहद की डिब्बी में डुबोकर रख दे शुत्रु से निजात पा सकते है।
5. छोटी इलायची, लाल चंदन, सिंदूर, कंगनी, काकडसिंंगी आदि सामग्री को पीसकर धूप बना ले व जिस किसी स्त्री के सामने धूप देगे वह वशीभूत हो जायेगी।
6. काकजंघा, तगर, केसर इन सबको पीसकर स्त्री के मस्तक पर डालने से वशीभूत होती है।
7. शुक्ल पक्ष के रविवार को 5 लौंग शरीर में ऐसे स्थान पर रखें, जहां पसीना आता हो व इसे सुखाकर चूर्ण बनाकर दूध, चाय में डालकर जिस स्त्री या पुरूष को पिला दी जाए तो वह वश में हो जाता है।
8. वैजयंती माला धारण करने से शत्रु भी मित्रवत व्यवहार करने लगते है। ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण यह माला पहनी हुए है व उनमें सबको मोहित करने की अदभुत क्षमता है।
9. कई बार पति किसी दूसरी स्त्री के प्रेमजाल में आ जाता है तो ऐसे में स्त्रियां यह प्रयोग कर सकती है। गुरूवार रात 12 बजे पति के थोडे से बाल काटकर जला दे व बाद में पैर से मसल दें इससे अवश्य ही पति सुधर जाएगा।
मंत्रों में शक्ति संपन्न शब्दों का भंडार होता है, जिससे मनचाही सिद्धियों को प्राप्त किया जा सकता है और अनचाही बाधाओं को समाप्त किया जा सकता है। सीधे शब्दों में कह सकते हैं, मंत्र यानि वह शक्ति जिससे रक्षा का वचन प्राप्त हो अथवा मन में छुपी सभी अतृप्त इच्छाओं को पूरा किया जा सके। किसी को अपने वश में करने के लिए शाबर मंत्रों का प्रयोग किया जाता है। अलग-अलग तरीकों से किसी दूसरे पर अपना अधिकार जमाया जा सकता है, आईए जानें
शनिवार को सिन्दूरी रंग के हनुमान जी पर सिन्दूरी रंग का चोला चढ़ाएं। 21 दिन तक हर रोज इस मंत्र की एक माला करें।
ॐ नमो आदेश गुरु को |
राजा मोहुं |
प्रजा मोहुँ |
मोहुं ब्राह्मण बनियां |
हनुमन्त ब्राह्मण बनियां |
हनुमन्त रूप मे जगत मोहूं |
तो रामचन्द्र परमाणियां |
गुरु की शक्ति |
मेरी भक्ति |
फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा |
इसी मंत्र का जाप करते हुए चौराहे से एक मुट्ठी मिट्टी उठा लें, फिर उसका तिलक लगाकर जिस व्यक्ति को वश में करना है, उसके सामने जाएं। अब वो व्यक्ति हमेशा के लिए आपका हो जाएगा।
स्त्री को वश में करने के लिए उसके बाएं पांव के नीचे से मिट्टी लेकर इस मंत्र से 7 बार अभिमंत्रित करें। अब उसके सिर में वह मिट्टी डाल दें। अब वो महिला आपके हुक्म की गुलाम है।
काला कलुवा चौंसठ वीर |
ताल भागी तोर |
जहां को भेजू वहीं को जाये |
मांस – मज्जा को शब्द बन जाये |
अपना मारा , आप दिखावे |
चलत बाण मारु |
उलट मूठ मारु |
मार मार कलुआ |
तेरी आस चार |
चौमुख दिया |
मार बादी की छाती |
इतना काम मेरा न करे तो तुजे माता का दूध पिया हराम |
इस मंत्र का मन ही मन जाप करते हुए किसी महिला से नज़रे मिलाएं। वो सदा के लिए आपकी कायल हो जाएगी।
एं भग भुगे भगनी भागोदरि भगमाले यौनि
भगनिपतिनि सर्वभग संकरी भगरूपे नित्य
क्लै भगस्वरूपे सर्व भगानि मे वशमानय
वरदेरेते सुरेते भग लिन्कने क्लीं न द्रवे क्लेदय
द्रावय अमोघे भग विधे क्षुभ क्षोभय सर्व
सत्वामगेश्वरी एं लकं जं ब्लूं ब्लूं भैं मौ बलूं
हे हे क्लिने सर्वाणि भगानि तस्मै स्वाहा |
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। हमारा यह पोस्ट और वेवसाइट इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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