रुद्राक्ष की खेती कहां होती है

रुद्राक्ष की खेती से लाखों कमा रहे है किसान

Rudraksh Farming : रुद्राक्ष की खेती करना किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है

रुद्राक्ष एक फल की गुठली है। जिसकी भगवान शिव का प्रिय माना जाता है रुद्राक्ष और इसे देखकर कई लोगों को मन की शांति भी मिलती है। पूजा पाठ के कामों में रुद्राक्ष का इस्तेमाल होता है। रुद्राक्ष पुराणों से लेकर धार्मिक अनुष्ठानों तक बहुत मान्यता है। इसका उपयोग आध्यात्मिक क्षेत्र में किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शंकर की आँखों के जलबिंदु से हुई है। इसे धारण करने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। रुद्राक्ष के अलग-अलग प्रकार होते हैं और इसे बहुत पवित्र माना जाता है। रुद्राक्ष में औषधीय गुण होने से इसका प्रयोग ब्लड प्रेशर, ऑक्सीजन लेवल सामान्य करने में किया जाता है। हालांकि कई लोगों को लगता है कि रुद्राक्ष को सिर्फ बाजार से ही खरीदा जा सकता है, लेकिन आप इसे घर पर भी उगा सकते हैं। ये एक पौधे से उगता है और अगर आपने इसकी केयर ठीक से कर ली तो आपके आंगन में भी रुद्राक्ष का पेड़ खिल सकता है। भारत में रुद्राक्ष की खेती उतनी लोकप्रिय नहीं है। लेकिन हैरानी बता यह है कि भारत रुद्राक्ष का सबसे बड़ा खरीदार हैं। बाजारों में रुद्राक्ष की काफी डिमांड रहती हैं। और यह बाजारों में काफी महंगे दामों में बिकते है। इस हिसाब से रुद्राक्ष की खेती किसानों के लिए  काफी फायदेमंद साबित हो सकती है। ऐसे में क्या आप जानते हैं कि इसे कैसे उगाया है?  तो चलिए हम आपको इस लेख में इसे उगाने का तरीके और इससे होने वाले फायदे के बारे में जानकारी देते है। 

रुद्राक्ष का पेड़ कहां पाया जाता है / रुद्राक्ष का पेड़ कहाँ मिलता है?

रुद्राक्ष एक नीले रंग के आउटर खोल के साथ एक पौधे से उगता है। रुद्राक्ष अधिकतर हिमालय की वादियों में उगता है। रुद्राक्ष के पेड़ भारत और नेपाल में मिलते हैं। भारत में हिमालय, गंगा के मैदानी क्षेत्रों में यह पेड़ सर्वाधिक मिलते हैं। लेकिन इसके पेड दिल्ली में भी कई फेमस जगहों में पाया जाता है। दिल्ली यूनिवर्सिटी कैम्पस एरिया के आस-पास भी पाया जाता है। रुद्राक्ष का पेड़ 50 से 200 फीट ऊंचे होते हैं। भारत में रुद्राक्ष की 300 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं। यह एक सदाबहार पेड़ है। भारत में इसकी खेती ज्यादा प्रचलित नहीं हैं। लेकिन भारत के कुछ इलाकों में इसकी खेती काफी बड़े स्तर पर कि जाती है। जिसमें मध्यप्रदेश, अरुणांचल प्रदेश, गढ़वाल, उत्तराखंड, हरिद्वार, बंगाल, असम और देहरादून के जंगलों में की जा रही है. वहीं मैसूर, नीलगिरी, कर्नाटक में भी रुद्राक्ष काफी संख्या में उगाए जाते हैं। इसके अलावा दक्षिण भारत के मैसूर, नीलगिरि और कर्नाटक में भी इसके पेड़ देखने को मिल जाते है। रामेश्वरम, गंगोत्री और यमुनोत्री के क्षेत्रों में भी रुद्राक्ष मिल जाता है।

रुद्राक्ष का महत्वं

रुद्राक्ष का महत्वं भगवान शिव से जुड़ा हुआ हैं एवं आमतौर पर भक्तों द्वारा सुरक्षा कवच के तौर पर या ओम नमः शिवाय मंत्र के जाप के लिए पहने जाते हैं। रुद्राक्ष का मुख्य रूप से भारत और नेपाल में कार्बनिक आभूषणों और माला के रूप में उपयोग किए जाता हैं। रुद्राक्ष अर्द्ध कीमती पत्थरों के समान मूल्यवान होते हैं। रुद्राक्ष के माला पहनने की एक पुरानी परंपरा है विशेष रूप से शैव मतालाम्बियों में जो उनके भगवान शिव के साथ उनके सम्बन्ध को दर्शाता है। भारत और नेपाल में कई लोग इसे हाथ व गले में पहनते है। रुद्राक्ष में कई औषधीय गुण पाए जाते है। यह दिल की बीमारी व् घबराहट से भी छुटकारा दिलाता है। इंडोनेशिया और नेपाल भारत में बड़ी में मात्रा में रुद्राक्ष का निर्यात करते है, जिसका कारोबार अरबो में होता है। 

इसे भी पढें – Khatu Shaym Temple History: खाटू श्याम मंदिर का इतिहास

रुद्राक्ष की खेती कैसे करें?

रुद्राक्ष अधिकतर हिमालय की वादियों में उगाता है। लेकिन भारत के कई राज्यों में भी इसकी खेती होने लगी है। इसकी व्यपारिक खेती के लिए अच्छी ड्रेनेज वाली मिट्टी की उपयुक्त होती है। इसमें खाद के साथ नाइट्रोजन और अन्य पोषक तत्व भी भरपूर मात्रा में डालने होते है। मिट्टी, खाद, और कोकोपिट का मिक्सचर तैयार कर ले और उसमे इसके पौधों को लगाए। रुद्राक्ष के पौधे को बढ़ने के लिए ठंडक की जरुरत होती है। इसके पौधे ठंड में काफी अच्छे से बढ़ते है। इसलिए इसकी खेती ठंडी जगह ज्यादा होती है। लेकिन आप इसकी खेती सामान्य तापमान वाली जगह पर कर रहे हैं, तो इन बातों को विशेष ध्यान रखें कि इसके पौधों को सीधे धूप से बचाएं और 35 प्रतिशत से अधिक तापमान न होने दे। 

इसे भी पढें – करोड़पति बनना है तो गणेश चतुर्थी के किसी भी दिन तिजोरी में रख लें यह छोटी सी चीज़

कैसे करें रुद्राक्ष की बुवाई?

रुद्राक्ष की बुवाई के लिए भूमि तैयारी में गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद डालकर रोटावेटर से दो या तीन बार जुताई करा के मिट्टी को भुरभुरा बना ले। खेत या गार्डन तैयार करते समय खाद के साथ अन्य पोषक तत्वों की मात्रा का भरपूर ध्यान रखे। इसके खेत में 30 प्रतिशत खाद, 60 प्रतिशत मिट्टी और 10 प्रतिशत कोकोपिट रखे। रुद्राक्ष की करीब 35 प्रजातियां उपलब्ध हैं और आप इसे किसी नर्सरी से या फिर ऑनलाइन खरीद सकते हैं। इसके अलावा आप इसे एयर लेयरिंग विधि का इस्तेमाल कर के भी लगा सकते है। इसके लिए आप 3 से 4 साल के पुराने पौधे कि शाखा में पेपपिन से रिंग काटकर उसके ऊपर मौस लगाया जाता है। इसके बाद 250 माइक्रोन की पॉलीथिन से ढंक दिया जाता है। जिसमें 40 – 45 दिनों में जड़ें उग जाती है। इसके बाद इसे काटकर नए बैग में लगा दिया जाता है। इसके बाद 20-25 दिनों में इसका पौधा अच्छे से उग कर तैयार हो जाता है। 

इसे भी पढें – Kaila Devi Story Temple In Hindi: kela devi ka itihaas, कैला देवी का इतिहास

रुद्राक्ष का पेड़ से पैदावार कब प्राप्त होती हैं?

रुद्राक्ष का पेड़ सदाबहार पेड़ है, इसका पौधा लगाने के 2 से 3 साल के पश्चता फल देना आरंभ कर देता है। यानि इसका पूर्ण रूप से विकसित पौधा 3 साल का समय लेता है। और यह साल में कई बार फल देता है। नीले फल इसमें दिखने लगेंगे। उन नीले फलों के अंदर होता है रुद्राक्ष जिसे साफ कर और सुखाकर हम इस्तेमाल करते हैं। रुद्राक्ष के पौधों से अलग-अलग मुखी रुद्राक्ष निकलते हैं. जिनका आकार अलग-अलग होता है। रंग लाल-सफेद, भूरा, पीला और काला हो सकता है।

इसे भी पढें – Ganesh Chaturthi Ke Upay: गणेश चतुर्थी के दिन कर लें ये 4 उपाय, कर्ज से मिल जाएगा छुटकारा

रुद्राक्ष के एक फल की कीमत क्या होती है?

रुद्राक्ष की पुराणों से लेकर धार्मिक अनुष्ठानों तक मान्यता होने के कारण इसके यह बाजारों में काफी अच्छे दामों पर बिकते हैं। नेपाल में रुद्राक्ष की कीमत वहां के मुद्रा के अनुरूप दस रूपए से लेकर दस लाख रूपए तक होती है, जिसकी कीमत भारत में आने के बाद 50, 500 रूपए से लेकर हजार या पच्चीस लाख तक हो जाती है। रुद्राक्ष की कीमत उसके आकार और मुख के अनुसार कम ज्यादा होती है। इंडोनेशिया और नेपाल से आने वाले रुद्राक्ष की कीमत कम एवं आकार भी छोटा होता है। पाँच मुख वाले रुद्राक्ष की कीमत सबसे कम होती है, वहीं एक मुख, इक्कीस मुख तथा चौदह मुख वाला रुद्राक्ष बेहद महंगा होता है। नेपाल में मिलने वाला रुद्राक्ष सिक्के का आकार जो बेहद दुर्लभ और ‘इलयोकैरपस जेनीट्रस’ प्रजाति का होता है।

इसे भी पढें – नीले फूल के अचूक टोटके, किस्मत बदल देंगे | neele phool ke totke in hindi

इसे भी पढें – 12 ज्योतिर्लिंग के नाम और कहाँ स्थित है? 12 Jyotirling Names & Places in India

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *